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  • अथर्ववेद - काण्ड 16/ सूक्त 8/ मन्त्र 32
    सूक्त - दुःस्वप्ननासन देवता - आसुरी पङ्क्ति छन्दः - यम सूक्तम् - दुःख मोचन सूक्त

    समृ॒त्योःपड्वी॑शा॒त्पाशा॒न्मा मो॑चि ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    स: । मृ॒त्यो: । पड्वी॑शात् । पाशा॑त् । मा । मो॒चि॒ ॥८.३२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    समृत्योःपड्वीशात्पाशान्मा मोचि ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    स: । मृत्यो: । पड्वीशात् । पाशात् । मा । मोचि ॥८.३२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 16; सूक्त » 8; मन्त्र » 32

    भाषार्थ -
    (सः) वह अपराधी (मृत्योः) मृत्यु समान कष्टदायक (पड्वीशात) पैरों में जञ्जीर लगाने रूप (पाशात्) फंदे या बन्धन से (मोचि, मा) मुक्त न हो।

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