अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 6/ मन्त्र 12
सूक्त - नारायणः
देवता - पुरुषः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - जगद्बीजपुरुष सूक्त
तस्मा॒दश्वा॑ अजायन्त॒ ये च॒ के चो॑भ॒याद॑तः। गावो॑ ह जज्ञिरे॒ तस्मा॒त्तस्मा॑ज्जा॒ता अ॑जा॒वयः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठतस्मा॑त्। अश्वाः॑। अ॒जा॒य॒न्त॒। ये। च॒। के। च॒। उ॒भ॒याद॑तः। गावः॑। ह॒। ज॒ज्ञि॒रे॒। तस्मा॑त्। तस्मा॑त्। जा॒ताः। अ॒ज॒ऽअ॒वयः॑ ॥६.१२॥
स्वर रहित मन्त्र
तस्मादश्वा अजायन्त ये च के चोभयादतः। गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाता अजावयः ॥
स्वर रहित पद पाठतस्मात्। अश्वाः। अजायन्त। ये। च। के। च। उभयादतः। गावः। ह। जज्ञिरे। तस्मात्। तस्मात्। जाताः। अजऽअवयः ॥६.१२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 6; मन्त्र » 12
भाषार्थ -
(अश्वाः) घोड़े तथा (ये) जो (के) कोई (च) और गदहा आदि (उभयादतः) दोनों ओर ऊपर-नीचे दांतों वाले हैं, वे (तस्मात्) उस परमेश्वर से (अजायन्त) पैदा हुए हैं। (तस्मात्) उसी से (गावः) गौएँ (ह) निश्चय करके (जज्ञिरे) उत्पन्न हुई, और (तस्मात्) उसी से (अजावयः) बकरियाँ भेड़ें (जाताः) उत्पन्न हुई।
टिप्पणी -
[“गावः” शब्द एक ओर दांत वालों का उपलक्षक है। इस के द्वारा अन्य भी एक ओर दांतवाले लिये जाते हैं। (यजुर्वेद ३१।८) महर्षि-भाष्य।]