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अथर्ववेद > काण्ड 19 > सूक्त 6

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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 6/ मन्त्र 7
    सूक्त - नारायणः देवता - पुरुषः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - जगद्बीजपुरुष सूक्त

    च॒न्द्रमा॒ मन॑सो जा॒तश्चक्षोः॒ सूर्यो॑ अजायत। मुखा॒दिन्द्र॑श्चा॒ग्निश्च॑ प्रा॒णाद्वा॒युर॑जायत ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    च॒न्द्रमाः॑। मन॑सः। जा॒तः। चक्षोः॑। सूर्यः॑। अ॒जा॒य॒त॒। मुखा॑त्। इन्द्रः॑। च॒। अ॒ग्निः। च॒। प्रा॒णात्। वा॒युः। अ॒जा॒य॒त॒ ॥६.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत। मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    चन्द्रमाः। मनसः। जातः। चक्षोः। सूर्यः। अजायत। मुखात्। इन्द्रः। च। अग्निः। च। प्राणात्। वायुः। अजायत ॥६.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 6; मन्त्र » 7

    भाषार्थ -
    (मनसः) मन को लक्ष्य करके (चन्द्रमाः) चान्द (अजायत) प्रादुर्भूत हुआ। (चक्षोः) चक्षु को लक्ष्य करके (सूर्यः) सूर्य (अजायत) प्रादुर्भूत हुआ। (मुखात्) मुख को लक्ष्य करके (इन्द्रः च अग्निः च) इन्द्र और अग्नि प्रादुर्भूत हुए। (प्राणात्) प्राण को लक्ष्य करके (वायुः) वायु (अजायत) प्रादुर्भूत हुई।

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