अथर्ववेद - काण्ड 5/ सूक्त 23/ मन्त्र 11
ह॒तो राजा॒ क्रिमी॑णामु॒तैषां॑ स्थ॒पति॑र्ह॒तः। ह॒तो ह॒तमा॑ता॒ क्रिमि॑र्ह॒तभ्रा॑ता ह॒तस्व॑सा ॥
स्वर सहित पद पाठह॒त: । राजा॑ । क्रिमी॑णाम् । उ॒त । ए॒षा॒म् । स्थ॒पति॑:। ह॒त: । ह॒त: । ह॒तमा॑ता । क्रिमि॑: । ह॒तऽभ्रा॑ता । ह॒तऽस्व॑सा ॥२३.११॥
स्वर रहित मन्त्र
हतो राजा क्रिमीणामुतैषां स्थपतिर्हतः। हतो हतमाता क्रिमिर्हतभ्राता हतस्वसा ॥
स्वर रहित पद पाठहत: । राजा । क्रिमीणाम् । उत । एषाम् । स्थपति:। हत: । हत: । हतमाता । क्रिमि: । हतऽभ्राता । हतऽस्वसा ॥२३.११॥
अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 23; मन्त्र » 11
भाषार्थ -
(हतः) मार दिया है (क्रिमीणाम, राजा) क्रिमियों का राजा, (उत) तथा (एपाम् ) इनका (स्थपतिः) स्थानिकपति (हतः) मार दिया है। (क्रिमिः हतः) क्रिमि मार दिया है, (हतमाता) इसकी माता मार दी है, (हतभ्राता) इसका भाई मार दिया है, (हतस्वसा) इसकी बहिन मार दी है।
टिप्पणी -
[राजा, स्थपतिः= मुख्य क्रिमि तथा स्थानिक क्रिमि। माता=मन्त्र ४ में 'दो-दो' का वर्णन हुआ है, नर और मादा का। मादा के पेट से ही सन्तानें पैदा होती हैं। माता मार दी गई तो सन्तानों भी अभाव हो गया। क्रिमियों के पिता का वर्णन राजा और स्थपति द्वारा हुआ है, इन्हें मन्त्र ११ में मार दिया कहा है। तक्मा का भ्राता है बलास, स्वसा है कासिका, भातृव्य है पाप्मा (अथर्व० ५.२२.१३) । सूक्त २२ में तक्मा का वर्णन है और सूक्त २३ में तक्मा के उत्पादक क्रिमियों का। क्रिमि, तक्मा के भी उत्पादक हैं, अत: सूक्त २२ और २३ का परस्पर सम्बन्ध है। स्थपति:=सचिवः (२.३२.४; सायण); तरखान आदि (आप्टे)।]