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  • यजुर्वेद - अध्याय 11/ मन्त्र 50
    ऋषिः - सिन्धुद्वीप ऋषिः देवता - आपो देवताः छन्दः - गायत्री स्वरः - षड्जः
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    आपो॒ हि ष्ठा म॑यो॒भुव॒स्ता न॑ऽऊ॒र्जे द॑धातन। म॒हे रणा॑य॒ चक्ष॑से॥५०॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आपः॑। हि। स्थ। म॒यो॒भुव॒ इति॑ मयः॒ऽभुवः॑। ताः। नः॒। ऊ॒र्जे। द॒धा॒त॒न॒। म॒हे। रणा॑य। चक्ष॑से ॥५० ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आपो हि ष्ठा मयोभुवस्ता नऽऊर्जे दधातन । महे रणाय चक्षसे ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    आपः। हि। स्थ। मयोभुव इति मयःऽभुवः। ताः। नः। ऊर्जे। दधातन। महे। रणाय। चक्षसे॥५०॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 11; मन्त्र » 50
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    Meaning -
    Women, pure, cool and generous like holy waters, creators of domestic peace and conjugal joy, stay firm and constant and hold on with strength and energy to face the great and memorable battles of life with us.

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