अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 17
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी जगती
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
म॑हाग॒णेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठम॒हा॒ऽग॒णेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.१७॥
स्वर रहित मन्त्र
महागणेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठमहाऽगणेभ्यः। स्वाहा ॥२२.१७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 17
विषय - महाशान्ति के लिये उपदेश।
पदार्थ -
(महागणेभ्यः) बड़े समूहों के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥१७॥
भावार्थ - स्पष्ट है ॥१७॥
टिप्पणी -
१७−(महागणेभ्यः) महासमूहेभ्यः ॥