अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 12
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी त्रिष्टुप्
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
उ॑त्त॒मेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठउ॒त्ऽत॒मेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.१२॥
स्वर रहित मन्त्र
उत्तमेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठउत्ऽतमेभ्यः। स्वाहा ॥२२.१२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 12
विषय - महाशान्ति के लिये उपदेश।
पदार्थ -
(उत्तमेभ्यः) अत्यन्त श्रेष्ठ [पुरुषों] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥१२॥
भावार्थ - स्पष्ट है ॥१२॥
टिप्पणी -
१२−(उत्तमेभ्यः) अतिश्रेष्ठपुरुषेभ्यः ॥