अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 14
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी पङ्क्तिः
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
ऋ॒षिभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठऋ॒षिऽभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.१४॥
स्वर रहित मन्त्र
ऋषिभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठऋषिऽभ्यः। स्वाहा ॥२२.१४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 14
विषय - महाशान्ति के लिये उपदेश।
पदार्थ -
(ऋषिभ्यः) ऋषियों [वेदव्याख्याता मुनियों] के लिये (स्वाहा) स्वाहा [सुन्दर वाणी] हो ॥१४॥
भावार्थ - स्पष्ट है ॥१४॥
टिप्पणी -
१४−(ऋषिभ्यः) वेदार्थदर्शकेभ्यो मुनिभ्यः ॥