अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 17/ मन्त्र 9
ऋषिः - अथर्वा
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - पञ्चपदा विराडतिशक्वरी
सूक्तम् - सुरक्षा सूक्त
47
प्र॒जाप॑तिर्मा प्र॒जन॑नवान्त्स॒ह प्र॑ति॒ष्ठाया॑ ध्रु॒वाया॑ दि॒शः पा॑तु॒ तस्मि॑न्क्रमे॒ तस्मि॑ञ्छ्रये॒ तां पुरं॒ प्रैमि॑। स मा॑ रक्षतु॒ स मा॑ गोपायतु॒ तस्मा॑ आ॒त्मानं॒ परि॑ ददे॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठप्र॒जाऽप॑तिः। मा॒। प्र॒जन॑नऽवान्। स॒ह। प्र॒तिऽस्था॑याः। ध्रु॒वायाः॑। दि॒शः। पा॒तु॒। तस्मि॑न्। क्र॒मे॒।तस्मि॑न्। श्र॒ये॒। ताम्। पुर॑म्। प्र। ए॒मि॒। सः। मा॒। र॒क्ष॒तु॒। सः। मा॒। गो॒पा॒य॒तु॒। तस्मै॑। आ॒त्मान॑म्। परि॑। द॒दे॒। स्वाहा॑ ॥१७.९॥
स्वर रहित मन्त्र
प्रजापतिर्मा प्रजननवान्त्सह प्रतिष्ठाया ध्रुवाया दिशः पातु तस्मिन्क्रमे तस्मिञ्छ्रये तां पुरं प्रैमि। स मा रक्षतु स मा गोपायतु तस्मा आत्मानं परि ददे स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठप्रजाऽपतिः। मा। प्रजननऽवान्। सह। प्रतिऽस्थायाः। ध्रुवायाः। दिशः। पातु। तस्मिन्। क्रमे।तस्मिन्। श्रये। ताम्। पुरम्। प्र। एमि। सः। मा। रक्षतु। सः। मा। गोपायतु। तस्मै। आत्मानम्। परि। ददे। स्वाहा ॥१७.९॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
रक्षा करने का उपदेश।
पदार्थ
(प्रजननवान्) सृजन सामर्थ्यवाला (प्रजापतिः) प्रजापति [प्रजाओं का पालक परमेश्वर] (मा) मुझे (प्रतिष्ठायाः=प्रतिष्ठया) प्रतिष्ठा [गौरव] के (सह) साथ (ध्रुवायाः) स्थिर वा नीचेवाली (दिशः) दिशा से (पातु) बचावे, (तस्मिन्) उसमें..... [म०१] ॥९॥
भावार्थ
मन्त्र १ के समान है ॥९॥
टिप्पणी
९−(प्रजापतिः) प्रजापालकः परमात्मा (प्रजननवान्) उत्पादनसामर्थ्योपेतः (सः) (प्रतिष्ठायाः) तृतीयार्थे षष्ठी। प्रतिष्ठया। गौरवेण (ध्रुवायाः) स्थिरायाः। अधोभवायाः। अन्यत् पूर्ववत् ॥
विषय
प्रजनन शक्तिवाले 'प्रजापति' धुवादिक में
पदार्थ
१. (प्रजननवान्) = सब उत्पादन-शक्तिवाले (प्रजापतिः) = प्रजापालक प्रभु (प्रतिष्ठाया: सह) = प्रतिष्ठा-गौरव के साथ (मा) = मुझे (ध्रुवाया: दिश:) = ध्रुवा दिक् से (पातु) = रक्षित करें। २. (तस्मिन् क्रमे) = इन प्रजापालक प्रभु में ही मैं गति कसैं। शेष पूर्ववत् ।
भावार्थ
मैं ध्रुवा दिक् में प्रजनन सामर्थ्यवाले प्रजापति प्रभु का अनुभव करूँ। ये प्रभु ही मुझे सब गौरव प्राप्त कराते हैं। इन्हीं में मैं गति करूँ।
भाषार्थ
(प्रजापतिः) प्रजाओं का स्वामी, तथा (प्रजननवान्) उत्पत्तियों का स्वामी परमेश्वर (सह प्रतिष्ठायाः) पृथ्वी की (ध्रुवायाः दिशः) ध्रुवा दिशा से (मा) मेरी (पातु) रक्षा करे। तस्मिन्...... पूर्ववत्।
टिप्पणी
[सह प्रतिष्ठायाः= सह प्रतिष्ठया; विभक्तिव्यत्यय; प्रजननेन सह वा (सायण)। प्रतिष्ठा=पृथिवी=Earth (आप्टे)। परमेश्वर सब प्रजाओं का स्वामी है, और पृथिवी की जो भी उपजें हैं—अन्नादि और खनिज पदार्थ, उनका भी स्वामी है। अतः पार्थिव उपजों का यथोचित्त विभाग होना चाहिए। ताकि परमेश्वर की सब प्रजाओं का पालन-पोषण हो सके। यथा “भुजिष्यं पात्रं निहितं गुहा यदाविर्भोगे अभवन्मातृमद्भ्यः” (अथर्व० १२.१.६०)। अर्थात् भोगयोग्य और रक्षा और त्राण के जो साधन पृथिवी की गुहा में निधिरूप में रखे गये हैं, वे मातृमान् समग्र प्रजाजनों के भोग के निमित्त प्रकट हुए हैं।]
विषय
रक्षा की प्रार्थना।
भावार्थ
(प्रजननवान्) प्रजाके उत्पन्न करने के सामर्थ्य से युक्त (प्रजापतिः) प्रजापति, परमेश्वर या प्रजा का पालक गृहस्थ (प्रतिष्ठायाः) जमकर या घर बसाकर बैठने अर्थात् प्रतिष्ठा देने वाली (ध्रुवाया दिशः) ध्रुवा, नीचे की आधार दिशा से (मा पातु) मेरी रक्षा करे। शेष पूर्ववत्।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
अथर्वा ऋषिः। मन्त्रोक्ता देवताः । १-४ जगत्यः। ५, ७, १० अतिजगत्यः, ६ भुरिक्, ९ पञ्चपदा अति शक्वरी। दशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Protection and Security
Meaning
May Prajapati, father sustainer of his people, with procreative power and stability, protect and promote me from the fixed direction below. Therein I advance. Therein I rest and find a haven. There itself I attain to as my goal. May that guard me. May that save me. To him I surrender life and soul in truth of word and deed.
Translation
May the Lord of creatures (Prajapati), along with virility and respectability, guard me from the fixed quarter (i.e., nadir). I step in Him: in Him I take shelter; to that castle do I go. May He defend me; may He protect me. To Him I totally surrender myself. Svaha.
Translation
Prajapati, the Lord of creation endowed with creative powers guard me with Pratishtha, the earth from region below...... soul to Him......... appreciation.
Translation
May the Protector of all, with His Creative powers, protect me from the stable quarter below. I .... so on.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
९−(प्रजापतिः) प्रजापालकः परमात्मा (प्रजननवान्) उत्पादनसामर्थ्योपेतः (सः) (प्रतिष्ठायाः) तृतीयार्थे षष्ठी। प्रतिष्ठया। गौरवेण (ध्रुवायाः) स्थिरायाः। अधोभवायाः। अन्यत् पूर्ववत् ॥
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