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अथर्ववेद के काण्ड - 9 के सूक्त 7 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 9
    ऋषिः - ब्रह्मा देवता - गौः छन्दः - साम्नी गायत्री सूक्तम् - गौ सूक्त
    48

    ब्रह्म॑ च क्ष॒त्रं च॒ श्रोणी॒ बल॑मू॒रू ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    ब्रह्म॑ । च॒ । क्ष॒त्रम् । च॒ । श्रोणी॒ इति॑ । बल॑म् । ऊ॒रू इति॑ ॥१२.९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    ब्रह्म च क्षत्रं च श्रोणी बलमूरू ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    ब्रह्म । च । क्षत्रम् । च । श्रोणी इति । बलम् । ऊरू इति ॥१२.९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 9; सूक्त » 7; मन्त्र » 9
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    सृष्टि की धारणविद्या का उपदेश।

    पदार्थ

    [सृष्टि में] (ब्रह्म) ब्राह्मणत्व (च) और (क्षत्रम्) क्षत्रियत्व (च) ही (श्रोणी) दोनों कूल्हों और (बलम्) बल (ऊरू) दोनों जङ्घाओं [के समान है] ॥९॥

    भावार्थ

    मन्त्र ७ के समान है ॥९॥

    टिप्पणी

    ९−(ब्रह्म) ब्राह्मणत्वम् (च) (क्षत्रम्) अ० २।१५।४। क्षत्रियत्वम् (च) एव (श्रोणी) अ० २।३३।५। कटिभागौ (बलम्) (ऊरू) अ० २।३३।५। जानूपरिभागौ ॥

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    विषय

    मित्र से प्रजा तक

    पदार्थ

    १.(मित्र: च वरुणः च) = मित्र और वरुण (अंसौ) = कन्धे हैं, (त्वष्टा च अर्यमा च) = त्वष्टा और अर्यमा (दोषणी) = भुजाओं के ऊपर के भाग हैं, (महादेवः बाहः) = महादेव बाहु हैं [अगली टाँगों का पिछला भाग], (इन्द्राणी) = विद्युत्-शक्ति (भसत्) = गुह्यभाग है, (वायुः पुच्छम्) = वायु पूंछ है, (पवमानः बाला:) = बहता हुआ वायु उसके बाल हैं। २. (ब्रह्म च क्षत्रं च) = ब्रह्म और क्षत्र [ब्राह्मण और क्षत्रिय] (श्रोणी) = उसके श्रोणीप्रदेश [कुल्हे] हैं, (बलम्) = बल [सेना] (ऊरू) = जाँचे हैं। (धाता च सविता च) = धाता और सविता उसके (अष्ठीवन्तौ) = टखने हैं, (गन्धर्वाः जंघा:) = गन्धर्व जंघाएँ हैं (अप्सरस:) = रूपवती स्त्रियाँ [अप्सराएँ] (कुष्ठिका:) = खुरों के ऊपर-पीछे की ओर लगी अंगुलियाँ हैं, (अदितिः) = पृथिवी (शफा:) = खुर हैं। ३. (चेत:) = चेतना (हृदयम्) = हृदय है, (मेधा) = बुद्धि (यकृत्) = जिगर है, (व्रत पुरीतत्) = व्रत उसकी अति है, (क्षुत् कुक्षि:) = भूख कोख है, (इरा) = अन्न व जल (वनिष्टुः) = गुदा व बड़ी आँतें हैं, (पर्वता:) = पर्वत व मेघ (प्लाशय:) = छोटी आंत हैं, (क्रोध:) = क्रोध वृक्को -गुर्दे हैं, (मन्यु:) = शोक व दीप्ति (आण्डौ) = अण्डकोश हैं, (प्रजा शेप:) = प्रजाएँ उसका लिंगभाग हैं [वृक्की पुष्टिकरी प्रोक्तौ जठरस्थस्य मेदसः । वीर्यवाहिशिराधारौ वृषणौ पौरुषावहौ। गर्भाधानकर लिङ्गमयन वीर्यमूत्रयोः-शार्ङ्गधर]।

    भावार्थ

    वेद में मित्र, वरुण से लेकर क्रोध, मन्यु, प्रजा आदि का सुचारुरूपेण प्रतिपादन है।

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    भाषार्थ

    ब्रह्म और क्षत्र दो कटिप्रदेश [श्रोणी] हैं, बल है दो ऊरु [दो घुटनों के ऊपर के भाग, कटिप्रदेश तक] [ऊरु= उर्वोरोजः (अथर्व० १९।६०।२)। कटिप्रदेश= गौ की पिछली टांगे जहां जुड़ी रहती हैं।

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    विषय

    विश्वका गोरूप से वर्णन॥

    भावार्थ

    (ब्रह्म च क्षत्रं च श्रोणी) ब्रह्म=ब्राह्मण और क्षत्र=क्षत्रिय दोनों श्रोणी, चूतर, कूल्हे भाग हैं, (बलम् ऊरू) बल=सेना उरू जांघें हैं।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    ब्रह्मा ऋषिः। गोदेवता। १ आर्ची उष्णिक्, ३, ५, अनुष्टुभौ, ४, १४, १५, १६ साम्न्यौ बृहत्या, ६,८ आसुयौं गायत्र्यौ। ७ त्रिपदा पिपीलिकमध्या निचृदगायत्री। ९, १३ साम्न्यौ गायत्रौ। १० पुर उष्णिक्। ११, १२,१७,२५, साम्नयुष्णिहः। १८, २२, एकपदे आसुरीजगत्यौ। १९ आसुरी पंक्तिः। २० याजुषी जगती। २१ आसुरी अनुष्टुप्। २३ आसुरी बृहती, २४ भुरिग् बृहती। २६ साम्नी त्रिष्टुप्। इह अनुक्तपादा द्विपदा। षड्विंशर्चं एक पर्यायसूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Cow: the Cosmic Metaphor

    Meaning

    Brahma and Kshatra, intelligence and order, are the loins, strength is the thighs.

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    Translation

    The intellect power (Brahma) and the ruling power (ksattra) are his two hips (sroni); the strength (balam) is his two thighs (kru).

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    Translation

    Brahma power and Kshatra-power are like its hips and the strength like its thigh.

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    Translation

    Priestly rank and princely power are the hips, and military strength is the thighs.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ९−(ब्रह्म) ब्राह्मणत्वम् (च) (क्षत्रम्) अ० २।१५।४। क्षत्रियत्वम् (च) एव (श्रोणी) अ० २।३३।५। कटिभागौ (बलम्) (ऊरू) अ० २।३३।५। जानूपरिभागौ ॥

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