Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 19/ मन्त्र 89
    ऋषिः - शङ्ख ऋषिः देवता - अश्विनौ देवते छन्दः - भुरिक् त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
    3

    अ॒श्विभ्यां॒ चक्षु॑र॒मृतं॒ ग्रहा॑भ्यां॒ छागे॑न॒ तेजो॑ ह॒विषा॑ शृ॒तेन॑। पक्ष्मा॑णि गो॒धूमैः॒ कुव॑लैरु॒तानि॒ पेशो॒ न शु॒क्रमसि॑तं वसाते॥८९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒श्विभ्या॒मित्य॒श्विऽभ्या॑म्। चक्षुः॑। अ॒मृत॑म्। ग्रहा॑भ्याम्। छागे॑न। तेजः॑। ह॒विषा॑। शृ॒तेन॑। पक्ष्मा॑णि। गो॒धूमैः॑। कुव॑लैः। उ॒तानि॑। पेशः॑। न। शु॒क्रम्। असि॑तम्। व॒सा॒ते॒ऽइति॑ वसाते ॥८९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अश्विभ्याञ्चक्षुरमृतङ्ग्रहाभ्याञ्छागेन तेजो हविषा शृतेन । पक्ष्माणि गोधूमैः कुवलैरुतानि पेशो न शुक्रमसितँवसाते ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अश्विभ्यामित्यश्विऽभ्याम्। चक्षुः। अमृतम्। ग्रहाभ्याम्। छागेन। तेजः। हविषा। शृतेन। पक्ष्माणि। गोधूमैः। कुवलैः। उतानि। पेशः। न। शुक्रम्। असितम्। वसातेऽइति वसाते॥८९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 19; मन्त्र » 89
    Acknowledgment

    Translation -
    With the twin cuns the nectar-dripping eye is made. Light for it is provided by oblation of boiled goatmilk. With corns of wheat eyelashes are made and with jujube fruit the eyebrows in proper place, The eyes bear an appearance white and black. (1)

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top