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  • यजुर्वेद - अध्याय 20/ मन्त्र 85
    ऋषिः - मधुच्छन्दा ऋषिः देवता - सरस्वती देवता छन्दः - निचृद्गायत्री स्वरः - षड्जः
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    चो॒द॒यि॒त्री सू॒नृता॑नां॒ चेत॑न्ती सुमती॒नाम्। य॒ज्ञं द॑धे॒ सर॑स्वती॥८५॥

    स्वर सहित पद पाठ

    चो॒द॒यि॒त्री। सू॒नृता॑नाम्। चेत॑न्ती। सु॒म॒ती॒नामिति॑ सुऽमती॒नाम्। य॒ज्ञम्। द॒धे॒। सर॑स्वती ॥८५ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    चोदयित्री सूनृतानाञ्चेतन्ती सुमतीनाम् । यज्ञन्दधे सरस्वती ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    चोदयित्री। सूनृतानाम्। चेतन्ती। सुमतीनामिति सुऽमतीनाम्। यज्ञम्। दधे। सरस्वती॥८५॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 20; मन्त्र » 85
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    Translation -
    O divine speech, you inspire those, who delight in truth. You instruct them, who are diligent. Please assist us in our efforts to perform the organized sacred acts. (1)

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