अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 132/ मन्त्र 10
यदी॒यं ह॑न॒त्कथं॑ हनत् ॥
स्वर सहित पद पाठयदि॑ । इ॒यम् । ह॑न॒त् । कथम् । हनत् ॥१३२.१०॥
स्वर रहित मन्त्र
यदीयं हनत्कथं हनत् ॥
स्वर रहित पद पाठयदि । इयम् । हनत् । कथम् । हनत् ॥१३२.१०॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 132; मन्त्र » 10
भाषार्थ -
(यदि) अगर (इयम्) यह कोई दैवीशक्ति है, जो कि (हनत्) कर्त्तव्याकर्त्तव्य कर्मों की डौंडी पीटती है, तो (कथम्) किस प्रकार (हनत्) डौंडी पीटती है?