अथर्ववेद - काण्ड 10/ सूक्त 5/ मन्त्र 6
सूक्त - सिन्धुद्वीपः
देवता - आपः, चन्द्रमाः
छन्दः - चतुष्पदा जगतीगर्भा जगती
सूक्तम् - विजय प्राप्ति सूक्त
इन्द्र॒स्यौज॒ स्थेन्द्र॑स्य॒ सह॒ स्थेन्द्र॑स्य॒ बलं॒ स्थेन्द्र॑स्य वी॒र्यं स्थेन्द्र॑स्य नृ॒म्णं स्थ॑। जि॒ष्णवे॒ योगा॑य॒ विश्वा॑नि मा भू॒तान्युप॑ तिष्ठन्तु यु॒क्ता म॑ आप स्थ ॥
स्वर सहित पद पाठइन्द्र॑स्य । ओज॑: । स्थ॒ । इन्द्र॑स्य । सह॑: । स्थ॒ । इन्द्र॑स्य । ब॑लम् । स्थ॒ । इन्द्र॑स्य । वी॒र्य᳡म् । स्थ॒ । इन्द्र॑स्य । नृ॒म्णम् । स्थ॒ । जि॒ष्णवे॑ । योगा॑य । विश्वा॑नि । मा॒ । भू॒तानि॑ । उप॑ । ति॒ष्ठ॒न्तु॒ । यु॒क्त: । मे॒ । आ॒प॒: । स्थ॒ ॥५.६॥
स्वर रहित मन्त्र
इन्द्रस्यौज स्थेन्द्रस्य सह स्थेन्द्रस्य बलं स्थेन्द्रस्य वीर्यं स्थेन्द्रस्य नृम्णं स्थ। जिष्णवे योगाय विश्वानि मा भूतान्युप तिष्ठन्तु युक्ता म आप स्थ ॥
स्वर रहित पद पाठइन्द्रस्य । ओज: । स्थ । इन्द्रस्य । सह: । स्थ । इन्द्रस्य । बलम् । स्थ । इन्द्रस्य । वीर्यम् । स्थ । इन्द्रस्य । नृम्णम् । स्थ । जिष्णवे । योगाय । विश्वानि । मा । भूतानि । उप । तिष्ठन्तु । युक्त: । मे । आप: । स्थ ॥५.६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 5; मन्त्र » 6
Subject - पारस्परिक सहयोग संगठन
Word Meaning -
( इन्द्रस्यौज स्थेन्द्रस्य सह स्थेन्द्रस्य बलं स्थेन्द्रस्य वीर्यं स्थेन्द्रस्य नृम्णं स्थ) ओजस्वी राजा, और परिवारके मुखिया, समाज के नेता सब जनों के बल, वीर्य और आर्थिक शक्ति शक्ति सम्पन्न होने के मार्ग दर्शन के लिए (जिष्णवे) आंतरिक और बाह्य शत्रु विजय सम्बंधी ( योगाय) पारस्परिक सहयोग के लिए (विश्वानि) सब (भूतानि) भूत और वर्तमान की भौतिक शक्तियां ( मा) मुझे (उप तिष्ठन्तु) प्राप्त हो जाएं (मे) मेरे लिए (आप: ) , हे साम्राज्य व्यापी प्रजाओ ! तुम (युक्ता) परस्पर एक मत (स्थ) हो कर उद्यत हो जाओ |
Tika / Tippani -
(ऋग्वेद का मानव को अंतिम उपदेश ऋ10.191)
जिष्णवे योगाय विश्वानि मा भूतान्युप तिष्ठन्तु युक्ता म आप स्थ
यजुर्वेद में जल के दैवीय गुणों पर अत्यंत वैज्ञानिक रहस्य का विस्तृत वर्णन इस प्रकार पाया जाता है; “समुद्रोsसि नभस्वानार्द्रदानु: शम्भूर्मयोभूरति मा वाहि स्वाहा| Y18.45.a
नभस्वानार्द्रदानु: -नभ् का शाब्दिक अर्थ है टूटना –Killed नभस्वान् का अर्थ हुवा जल जो स्वयं टूट कर आर्द्रदानु: औरों के प्रति दयाद्र हृदय वाला होता है भौतिक स्तर पर ऐसा जल अधिक आर्द्रता लिए होता है.
Such mechanically treated water develops more wetting property, because it has lower SURFACE TENSION- (a physically measureable property) |
यहां आधुनिक विज्ञान के अनुसार जब जल प्रपातों और भंवर से प्रभावित होता है, जैसे पर्वतीय क्षेत्र में जब गङ्गा का जल प्रपातों और भंवर से प्रभावित होता है, तो उस जल का पृष्ट-तनाव surface tension बहुत कम हो जाता है.
Water of low surface tension- Water potential -affecting solvability, diffusion properties (pure water has zero water potential, any dissolved substance will impart negative potential
जल तरल तत्व महत्व Importance of liquids अथर्व वेद 10.5.7 से 14 तक ध्रुव पंक्ति: है;
(अपां शुक्रं आपो देवीर्वर्चो अस्मासु धत्त ।जल प्रजापतेर्वो धाम्नास्मै लोकाय सादये)
(अपाम् शुक्रम् ) आप: देवी: प्रजापते: व: धाम्ना) प्रजा के पालन करने वाले ईश्वर के दैवीय गुण- राजा,अग्रज और प्रजा सब जनों में (अस्मै लोकाय सादये) इस लोक में समस्त सुखों की प्राप्ति के लिए (अस्मासु धत्त) हम सब में स्थापित हों ।
(अपां शुक्रं वर्च:) जलों-तरल पदार्थों- भौतिक जल वनस्पतिओं के रस और मानव शरीर का संचारण करने वाले रक्त रेतस वीर्यादि रस में कुबेर की सम्पन्नता,दीप्ति और वर्चस्व देने वाले
अग्नि बाह्य और आंतरिक- भौतिक ऊर्जा और आत्म बल