Loading...

मन्त्र चुनें

  • यजुर्वेद का मुख्य पृष्ठ
  • यजुर्वेद - अध्याय 20/ मन्त्र 80
    ऋषिः - विदर्भिर्ऋषिः देवता - अश्विसरस्वतीन्द्रा देवताः छन्दः - विराडनुष्टुप् स्वरः - गान्धारः
    5

    अ॒श्विना॒ तेज॑सा॒ चक्षुः॑ प्रा॒णेन॒ सर॑स्वती वी॒र्यम्।वा॒चेन्द्रो॒ बले॒नेन्द्रा॑य दधुरिन्द्रि॒यम्॥८०॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒श्विना॑। तेज॑सा। चक्षुः॑। प्रा॒णेन॑। सर॑स्वती। वी॒र्य᳖म्। वा॒चा। इन्द्रः॑। बले॑न। इन्द्रा॑य। द॒धुः॒। इ॒न्द्रि॒यम् ॥८० ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अश्विना तेजसा चक्षुः प्राणेन सरस्वती वीर्यम् । वाचेन्द्रो बलेनेन्द्राय दधुरिन्द्रियम् ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    अश्विना। तेजसा। चक्षुः। प्राणेन। सरस्वती। वीर्यम्। वाचा। इन्द्रः। बलेन। इन्द्राय। दधुः। इन्द्रियम्॥८०॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 20; मन्त्र » 80
    Acknowledgment

    Meaning -
    Ashivinis, creative powers of nature and the experts of health and nutrition, Sarasvati, divine intelligence and the enlightened mother, and Indra, the sun and the man of knowledge and power, these create and strengthen for the living soul the eye with light, virility with pranic energy, a sharp mind with senses, and honourable disposition with vital energy and noble speech.

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top