ऋग्वेद - मण्डल 10/ सूक्त 18/ मन्त्र 3
इ॒मे जी॒वा वि मृ॒तैराव॑वृत्र॒न्नभू॑द्भ॒द्रा दे॒वहू॑तिर्नो अ॒द्य । प्राञ्चो॑ अगाम नृ॒तये॒ हसा॑य॒ द्राघी॑य॒ आयु॑: प्रत॒रं दधा॑नाः ॥
स्वर सहित पद पाठइ॒मे । जी॒वाः । वि । मृ॒तैः । आ । अ॒व॒वृ॒त्र॒न् । अभू॑त् । भ॒द्रा । दे॒वऽहू॑तिः । नः॒ । अ॒द्य । प्राञ्चः॑ । अ॒गा॒म॒ । नृ॒तये॑ । हसा॑य । द्राघी॑यः । आयुः॑ । प्र॒ऽत॒रम् । दधा॑नाः ॥
स्वर रहित मन्त्र
इमे जीवा वि मृतैराववृत्रन्नभूद्भद्रा देवहूतिर्नो अद्य । प्राञ्चो अगाम नृतये हसाय द्राघीय आयु: प्रतरं दधानाः ॥
स्वर रहित पद पाठइमे । जीवाः । वि । मृतैः । आ । अववृत्रन् । अभूत् । भद्रा । देवऽहूतिः । नः । अद्य । प्राञ्चः । अगाम । नृतये । हसाय । द्राघीयः । आयुः । प्रऽतरम् । दधानाः ॥ १०.१८.३
ऋग्वेद - मण्डल » 10; सूक्त » 18; मन्त्र » 3
अष्टक » 7; अध्याय » 6; वर्ग » 26; मन्त्र » 3
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अष्टक » 7; अध्याय » 6; वर्ग » 26; मन्त्र » 3
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भाष्य भाग
हिन्दी (1)
पदार्थ
(इमे जीवाः) ये हम जीवनधारण करते हुए (मृतैः वि-आववृत्रन्) मरणधर्मों-मृत्यु के कारणों से पृथक् वियुक्त होवें (अद्य) इस जीवन में (नः) हमारे लिए (देवहूतिः) परमात्मदेव की स्तुति प्रार्थना कल्याणकारी होती है (द्राघीयः प्रतरम्-आयुः दधानाः) दीर्घकालपर्यन्त स्वास्थ्यपूर्ण जीवन धारण करते हुए (नृतये हसाय प्राञ्चः-अगाम) हर्षपूर्वक नाचने और हसने के लिए श्रेष्ठ मार्गों पर चलें ॥३॥
भावार्थ
जो जीव मृत्यु के कारणों अज्ञान व्यसनसेवन से अलग हो जाते हैं, वे अपने जीवन में परमात्मा की कल्याणकारी स्तुति करते हुए दीर्घकाल तक स्वास्थ्यपूर्ण आयु प्राप्त करते हैं और जीवन का विनोद, हर्ष, श्रेष्ठ मार्ग पर चलते हुए लिया करते हैं ॥३॥
संस्कृत (1)
पदार्थः
(इमे जीवाः) एते वयं जीवन्तः (मृतैः-वि आववृत्रन्) मरणधर्मैर्मृत्युकारणैर्वियुक्ता भवेम (अद्य) अस्मिन् जीवने (नः) अस्मभ्यम् (देवहूतिः-भद्रा-अभूत्) देवस्य परमात्मनो हूतिर्ह्वानभावना स्तुतिप्रार्थना कल्याणकरी भवति-भविष्यति (द्राघीयः प्रतरम्-आयुः-दधानाः) दीर्घकालपर्यन्तं स्वास्थ्यपूर्णजीवनं धारयन्तः (नृतये-हसाय प्राञ्चः-अगाम) हर्षपूर्वकगात्रविक्षेपाय हसनाय प्रकृष्टमार्गान् गच्छेम ॥३॥
इंग्लिश (1)
Meaning
May these living people, (we all), be free from the shades of death in life. May our dedication and service to divinity be auspicious and fruitful today. May we go forward living a long life of high order of virtue full of the joy of song and dance and laughter.
मराठी (1)
भावार्थ
जे जीव मृत्यूचे कारण अज्ञान, व्यसनसेवन यापासून दूर होतात. ते आपल्या जीवनात परमेश्वराची कल्याणमय स्तुती करत दीर्घकालपर्यंत स्वास्थ्यपूर्ण आयुष्य प्राप्त करतात व जीवनात विनोद, हर्ष इत्यादींनी युक्त होऊन श्रेष्ठ मार्गाने चालतात. ॥३॥
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