ऋग्वेद - मण्डल 9/ सूक्त 110/ मन्त्र 10
ऋषिः - त्रयरुणत्रसदस्यू
देवता - पवमानः सोमः
छन्दः - अनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
सोम॑: पुना॒नो अ॒व्यये॒ वारे॒ शिशु॒र्न क्रीळ॒न्पव॑मानो अक्षाः । स॒हस्र॑धारः श॒तवा॑ज॒ इन्दु॑: ॥
स्वर सहित पद पाठसोमः॑ । पु॒ना॒नः । अ॒व्यये॑ । वारे॑ । शिशुः॑ । न । क्रीळ॑न् । पव॑मानः । अ॒क्षा॒रिति॑ । स॒हस्र॑ऽधारः । श॒तऽवा॑जः । इन्दुः॑ ॥
स्वर रहित मन्त्र
सोम: पुनानो अव्यये वारे शिशुर्न क्रीळन्पवमानो अक्षाः । सहस्रधारः शतवाज इन्दु: ॥
स्वर रहित पद पाठसोमः । पुनानः । अव्यये । वारे । शिशुः । न । क्रीळन् । पवमानः । अक्षारिति । सहस्रऽधारः । शतऽवाजः । इन्दुः ॥ ९.११०.१०
ऋग्वेद - मण्डल » 9; सूक्त » 110; मन्त्र » 10
अष्टक » 7; अध्याय » 5; वर्ग » 23; मन्त्र » 4
Acknowledgment
अष्टक » 7; अध्याय » 5; वर्ग » 23; मन्त्र » 4
Acknowledgment
भाष्य भाग
संस्कृत (1)
पदार्थः
(सोमः) सर्वोत्पादकः परमात्मा (अव्यये, वारे) रक्षायुक्ते पदार्थे (शिशुः, न) प्रशंसनीयवस्तु इव (क्रीळन्) क्रीडन् (पवमानः) सर्वपावकः (सहस्रधारः) अनन्तशक्तियुक्तः (शतवाजः) विविधबलयुक्तः (इन्दुः) प्रकाशस्वरूपः सः (पुनानः) पवित्रीकुर्वन् (अक्षाः) स्वसुधावारिणा सिञ्चति ॥१०॥
हिन्दी (3)
पदार्थ
(सोमः) सर्वोत्पादक (पवमानः) सबको पवित्र करनेवाला (अव्यये, वारे) रक्षायुक्त पदार्थों में (शिशुः, न, क्रीळन्) प्रशंसनीय वस्तुओं के समान क्रीडा करता हुआ (सहस्रधारः) अनन्त प्रकार की शक्तियों से युक्त (शतवाजः) अनन्त प्रकार के बलोंवाला (इन्दुः) प्रकाशस्वरूप परमात्मा (पुनानः) ज्ञानवृद्धि द्वारा पवित्र करता हुआ (अक्षाः) अपनी सुधावारि से सबको सिञ्चन करता है ॥१०॥
भावार्थ
परमात्मा के गुण तथा शक्तियें अनन्त हैं और जिनसे उसके स्वरूप का निरूपण किया जाता है, वे गुण भी उसमें अनन्त हैं, इसलिये अनन्तस्वरूप की अनन्तरूप से ही उपासना करनी चाहिये ॥१०॥
विषय
शतवानः इन्दुः
पदार्थ
(सोमः) = सोम (पुनानः) = पवित्र किया जाता हुआ (अव्यये) = [अवि अय्] विषय वासनाओं में न भटकनेवाले (वारे) = द्वेष आदि का निवारण करनेवाले में (शिशुः न) = बुद्धि को तीव्र करनेवाले के समान (क्रीडन्) = क्रीडा करता हुआ, सब कार्यों को क्रीडक की मनोवृत्ति से कराता हुआ (अक्षाः) = व्याप्त होता है । सोमरक्षण के लिये हमें 'अव्यय व वार' बनना है। सुरक्षित हुआ हुआ यह हमें तीव्र बुद्धि व क्रीडक की मनोवृत्ति वाला बनाएगा। हम संसार की द्वन्द्वात्मक घटानाओं में अव्याकुल होकर चल सकेंगे। (पवमानः) = यह पवित्र करता हुआ सोम (सहस्त्राधारः) = हमें हजारों प्रकार से धारण करता है । (शतवाज:) = सौ वर्ष के पूर्ण आयुष्यपर्यन्त शक्तिशाली बनायें रखता है और (इन्दुः) = शक्तिशाली होता है।
भावार्थ
भावार्थ - शरीर में सुरक्षित सोम बुद्धि को तीव्र करता है, हमें क्रीडक की मनोवृत्ति वाला बनाता है, पूर्ण आयुष्यपर्यन्त शक्तिशाली बनाये रखता है ।
विषय
पावन प्रभु की प्राप्ति
भावार्थ
(एषः) यह (पुनानः) पवित्र करता हुआ, (मधुमान्) अति आनन्द से युक्त, (ऋत-वा) सत्य तेज से युक्त, (स्वादुः) उत्तम सुखद, (ऊर्मिः) तरङ्गवत् उत्तम एवं (वाज-सनिः) बलदायक, ज्ञानप्रद, (वरिवः-वित्) धनों को प्राप्त करने वाला, (वयःधाः) बलों का धारक, (इन्दुः) तेजोमय प्रभु (इन्द्राय) परमैश्वर्य वा प्रभु रूप से (पवते) प्रकट होता है। वह इस आत्मा के हितार्थ प्राप्त होता है वा सूर्य मेघादिवत् प्राप्त हो।
टिप्पणी
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
त्र्यरुणत्रसदस्यू ऋषिः। पवमानः सोमो देवता॥ छन्द:- १, २, १२ निचृदनुष्टुप्। ३ विराडनुष्टुप्। १०, ११ अनुष्टुप्। ४, ७,८ विराडुबृहती। ५, ६ पादनिचृद् बृहती। ९ बृहती॥ द्वादशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (1)
Meaning
And that long may Soma bless us, pure and purifying, vibrant as wind and joyously manifesting playfully as a darling spirit in the protective world of choice beauty, flowing with a thousand streams and commanding a hundred forces of existence, blissful, brilliant and gracious as it is.
मराठी (1)
भावार्थ
परमेश्वराचे गुण व शक्ती अनंत आहेत व ज्याच्यांकडून त्याच्या स्वरूपाचे निरुपण केले जाते ते गुणही त्याच्यात अनंत आहेत. त्यासाठी अनंत स्वरूपाची अनंत रूपानेच उपासना केली पाहिजे. ॥१०॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
N/A
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
N/A
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
N/A
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
Shri Virendra Agarwal
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal