अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 31/ मन्त्र 10
ऋषिः - सविता
देवता - औदुम्बरमणिः
छन्दः - अनुष्टुप्
सूक्तम् - औदुम्बरमणि सूक्त
56
आ मे॒ धनं॒ सर॑स्वती॒ पय॑स्फातिं च धा॒न्य॑म्। सि॑नीवा॒ल्युपा व॑हाद॒यं चौदु॑म्बरो म॒णिः ॥
स्वर सहित पद पाठआ। मे॒। धन॑म्। सर॑स्वती। पयः॑ऽस्फातिम्। च॒। धा॒न्य᳡म्। सि॒नी॒वा॒ली। उप॑। व॒हा॒त्। अ॒यम्। च॒। औदु॑म्बरः। म॒णिः ॥३१.१०॥
स्वर रहित मन्त्र
आ मे धनं सरस्वती पयस्फातिं च धान्यम्। सिनीवाल्युपा वहादयं चौदुम्बरो मणिः ॥
स्वर रहित पद पाठआ। मे। धनम्। सरस्वती। पयःऽस्फातिम्। च। धान्यम्। सिनीवाली। उप। वहात्। अयम्। च। औदुम्बरः। मणिः ॥३१.१०॥
भाष्य भाग
हिन्दी (4)
विषय
ऐश्वर्य की प्राप्ति का उपदेश।
पदार्थ
(सिनीवाली) अन्न देनेवाली (सरस्वती) सरस्वती [विज्ञानवती विद्या] (च) और (अयम्) यह (औदुम्बरः) संघटन चाहनेवाला (मणिः) प्रशंसनीय [परमात्मा] (मे) मेरे लिये (पयस्फातिम्) दूध की बढ़ती, (च) और (धनम्) धन और (धान्यम्) धान्य [अन्न] (आ) सब ओर से (उप) समीप (वहात्) लावे ॥१०॥
भावार्थ
जो मनुष्य विद्या प्राप्त करते और परमात्मा पर विश्वास करके प्रयत्न करते हैं, वे धन-धान्य पाकर सदा प्रसन्न रहते हैं ॥१०॥
टिप्पणी
१०−(आ) समन्तात् (मे) मह्यम् (धनम्) सुवर्णादिरूपम् (सरस्वती) विज्ञानवती विद्या (पयस्फातिम्) दुग्धस्य वृद्धिम् (च) (धान्यम्) अन्नम् (सिनीवाली) अ०२।२६।२। इण्सिञ्जिदीङु०। उ०३।२। षिञ् बन्धने-नक्, ङीप्+वल संवरणे, वल जीवने दाने च-अण्, ङीप्। सिनीवाली सिनमन्नं भवति सिनाति भूतानि बालं पर्व वृणातेस्तस्मिन्नन्नवती निरु०११।३१। अन्नदात्री (उप) सांहितिको दीर्घः। समीपे (वहात्) प्रापयेत् (अयम्) प्रसिद्धः (च) (औदुम्बरः) म०१। संहतिस्वीकर्ता (मणिः) प्रशंसनीयः परमेश्वरः ॥
विषय
धन-दूध-धान्य
पदार्थ
यह (सिनीवाली) = [सिनम्-अन्नम्] अन्नोंवाली सरस्वती ज्ञान की अधिष्ठात्री देवता मे मेरे लिए (धनम्) = धन को (पयस्फातिम्) = दूध की वृद्धि को (च) = तथा (धान्यम्) = धान्य को उपावहात् सर्वथा समीपता से प्राप्त कराए, अर्थात् मेरा ज्ञान उस विज्ञानवाला हो जो मुझे 'धन, दूध व धान्य' के प्राचुर्य को देनेवाला हो। २. (च) = और (अयम्) = यह (औदुम्बरः मणि:) = सब रोगों व पापों से ऊपर उठानेवाली वीर्यमणि मुझे धन, दूध व धान्य को देनेवाली हो। वीर्यरक्षण मेरी समृद्धि का कारण बने।
भावार्थ
ज्ञान की आरधना तथा वीर्यरक्षण मुझे 'धन, दूध व धान्य' का प्राचुर्य दें।
भाषार्थ
(सरस्वती) ज्ञान या विद्या की अधिष्ठात्री अर्थात् अधिकारिणी, (मे) मुझ प्रजाजन के लिए (धनम्) विद्याधन (आ वहात्) प्राप्त कराए। (सिनीवाली) अन्नसम्पन्ना तथा कष्टनिवारिणी गृहपत्नी, (च) और (अयम्) यह (मणिः) राज्यरत्न (औदुम्बरः) वनाधिपति (पयः स्फातिम्) दूध की वृद्धि (च) और (धान्यम्) अन्न अनाज (उप आ वहात्) प्राप्त कराएँ।
टिप्पणी
[सिनीवाली= सिनमन्नं तद्वती; वाली=वारणकर्त्री। निवारणकर्त्री, रलयोरभेदः। सिन और वाल में “छन्दसीवनिपौ च” वार्तिक द्वारा “ई” प्रत्यय। सिनीवाली= देवपत्नी (निरु० ११.३.३१)। अतः सिनीवाली= पतिदेव की पत्नी, गृहपत्नी।]
विषय
औदुम्बर मणि के रूप में अन्नाध्यक्ष, पुष्टपति का वर्णन।
भावार्थ
(सरस्वती) उत्तम रस प्रदान करने वाली और (सिनीवाली) अन्न प्रदान करने वाली स्त्री, गौ या पृथिवी (मे) मुझे (धनम्) धन (पयः स्फातिम्) खूब अधिक पुष्टिकारक दूध घी आदि पदार्थ, (धान्यम् च) अन्न आदि धान्य (उपवहाद्) प्राप्त करावे। और इसी प्रकार (अयम्) यह (औदुम्बरः मणिः) अन्नों का और रसों का स्वामी पुरुष मुझे धन दूध, अन्नादि प्रदान करे।
टिप्पणी
(तृ०) ‘उपावहत्’ इति पैप्प० सं०।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर
पुष्टिकामः सविता ऋषिः। मन्त्रोक्त उदुम्बरमणिर्देवता। ५, १२ त्रिष्टुभौ। ६ विराट् प्रस्तार पंक्तिः। ११, १३ पञ्चपदे शक्वर्य्यौ। १४ विराड् आस्तारपंक्तिः। शेषा अनुष्टुभः। चतुर्दशर्चं सूक्तम्॥
इंग्लिश (4)
Subject
Audumbara Mani
Meaning
To us all, may Sarasvati, generous mother giver of food for all, bring plenty of food and wealth, and so may this Audumbara mani bring us food, wealth, honour and excellence.
Translation
May the divine learning bring wealth, Sinivali (the new moon light) plenty of milk and this udumbara blessing foodgrains for me.
Translation
Let Saraswati, the Vedic speech and knowledge give us the abundance of milk and corn. Let the earth full of corn and this nice Udumbar give prosperity.
Translation
May the river, wife, and this Audumber-mani all help flow the stream of wealth, plenteous milk and sweet juices of herbs and food-grains from all sides for me.
Footnote
Three things are essential for the plenteous inflow of the necessities of life for a householder i.e., a river of sweet water nearby, the wife and the Audumber-mani. Both Pt. Khem Karan Das Tfivedi and Pt. Jaidev Vidyalankar have interpreted Audumbermani, as the chief-officer in charge of looking after the nourishment of the people. But I have given a different direction to interpret- these manis to open the field for research into the scientific truths, lying hidden in the Vedic texts. Let some scientists take up the clue.
संस्कृत (1)
सूचना
कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।
टिप्पणीः
१०−(आ) समन्तात् (मे) मह्यम् (धनम्) सुवर्णादिरूपम् (सरस्वती) विज्ञानवती विद्या (पयस्फातिम्) दुग्धस्य वृद्धिम् (च) (धान्यम्) अन्नम् (सिनीवाली) अ०२।२६।२। इण्सिञ्जिदीङु०। उ०३।२। षिञ् बन्धने-नक्, ङीप्+वल संवरणे, वल जीवने दाने च-अण्, ङीप्। सिनीवाली सिनमन्नं भवति सिनाति भूतानि बालं पर्व वृणातेस्तस्मिन्नन्नवती निरु०११।३१। अन्नदात्री (उप) सांहितिको दीर्घः। समीपे (वहात्) प्रापयेत् (अयम्) प्रसिद्धः (च) (औदुम्बरः) म०१। संहतिस्वीकर्ता (मणिः) प्रशंसनीयः परमेश्वरः ॥
Acknowledgment
Book Scanning By:
Sri Durga Prasad Agarwal
Typing By:
Misc Websites, Smt. Premlata Agarwal & Sri Ashish Joshi
Conversion to Unicode/OCR By:
Dr. Naresh Kumar Dhiman (Chair Professor, MDS University, Ajmer)
Donation for Typing/OCR By:
Sri Amit Upadhyay
First Proofing By:
Acharya Chandra Dutta Sharma
Second Proofing By:
Pending
Third Proofing By:
Pending
Donation for Proofing By:
Sri Dharampal Arya
Databasing By:
Sri Jitendra Bansal
Websiting By:
Sri Raj Kumar Arya
Donation For Websiting By:
N/A
Co-ordination By:
Sri Virendra Agarwal