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अथर्ववेद - काण्ड 18/ सूक्त 4/ मन्त्र 27
सूक्त - यम, मन्त्रोक्त
देवता - याजुषी गायत्री
छन्दः - अथर्वा
सूक्तम् - पितृमेध सूक्त
अक्षि॑तिं॒भूय॑सीम् ॥
स्वर सहित पद पाठअक्षि॑तिम् । भूय॑सीम् ॥४.२७॥
स्वर रहित मन्त्र
अक्षितिंभूयसीम् ॥
स्वर रहित पद पाठअक्षितिम् । भूयसीम् ॥४.२७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 18; सूक्त » 4; मन्त्र » 27
Translation -
O Yajmana, May All-controlling God grant you in exhaustible wealth or immortality lastion long.