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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 69

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 69/ मन्त्र 11
    सूक्त - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-६९

    के॒तुं कृ॒ण्वन्न॑के॒तवे॒ पेशो॑ मर्या अपे॒शसे॑। समु॒षद्भि॑रजायथाः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    के॒तुम् । कृ॒ण्वन् । अ॒के॒तवे॑ । पेश॑: । म॒र्या॒: । अ॒पे॒शसे॑ ॥ सम् । उ॒षत्ऽभि॑: । अ॒जा॒य॒था॒: ॥६९.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    केतुं कृण्वन्नकेतवे पेशो मर्या अपेशसे। समुषद्भिरजायथाः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    केतुम् । कृण्वन् । अकेतवे । पेश: । मर्या: । अपेशसे ॥ सम् । उषत्ऽभि: । अजायथा: ॥६९.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 69; मन्त्र » 11

    भाषार्थ -
    (मर्याः) हे उपासक जनो! तुम परमेश्वर के प्रति कहो कि हे परमेश्वर! आप (अकेतवे) प्रज्ञानरहित उपासक के लिए, (केतुम्) प्रज्ञान (कृण्वन्) प्रकट करते हुए, और (अपेशसे) रूपरहित उपासक के लिए (पेशः) नया रूप प्रकट करते हुए, (उषद्भिः) उषाकालों के साथ-साथ (सम् अजायथाः) सम्यक् प्रकार प्रकट हो जाइए।

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