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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 69

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 69/ मन्त्र 5
    सूक्त - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-६९

    आ त्वा॑ विशन्त्वा॒शवः॒ सोमा॑स इन्द्र गिर्वणः। शं ते॑ सन्तु॒ प्रचे॑तसे ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    आ । त्वा॒ । वि॒श॒न्तु॒ । आ॒शव॑: । सोमा॑स: । इ॒न्द्र॒ । गि॒र्व॒ण॒: ॥ शम् । ते॒ । स॒न्तु॒ । प्रऽचे॑तसे ॥६९.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    आ त्वा विशन्त्वाशवः सोमास इन्द्र गिर्वणः। शं ते सन्तु प्रचेतसे ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    आ । त्वा । विशन्तु । आशव: । सोमास: । इन्द्र । गिर्वण: ॥ शम् । ते । सन्तु । प्रऽचेतसे ॥६९.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 69; मन्त्र » 5

    भाषार्थ -
    (गिर्वणः) हे वेदवाणियों द्वारा भजनीय (इन्द्र) परमेश्वर! (आशवः) हमारे संवेगी (सोमासाः) भक्तिरस, (त्वा) आप में (आ विशन्तु) प्रवेश पा जाएँ, आप उन्हें स्वीकार कर लें। (ते) और वे भक्तिरस (प्रचेतसे) प्रज्ञानी उपासक के लिए (शम्) शान्तिप्रद (सन्तु) हों।

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