अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 10/ मन्त्र 14
सूक्त - अथर्वाचार्यः
देवता - विराट्
छन्दः - साम्न्युष्णिक्
सूक्तम् - विराट् सूक्त
तस्याः॒ सोमो॒ राजा॑ व॒त्स आसी॒च्छन्दः॒ पात्र॑म्।
स्वर सहित पद पाठतस्या॑: । सोम॑: । राजा॑ । व॒त्स: । आसी॑त् । छन्द॑: । पात्र॑म् ॥१३.१४॥
स्वर रहित मन्त्र
तस्याः सोमो राजा वत्स आसीच्छन्दः पात्रम्।
स्वर रहित पद पाठतस्या: । सोम: । राजा । वत्स: । आसीत् । छन्द: । पात्रम् ॥१३.१४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10;
पर्यायः » 4;
मन्त्र » 14
भाषार्थ -
(तस्याः) उस विराट्-गौ का (वत्सः) बछड़ा (आसीत्) था (सोमः राजा) सौम्य स्वभाव का राजा और (छन्दः) वैदिक छन्द-समूह अर्थात् वेदमन्त्र समूह था (पात्रम्) रक्षा और पालन का साधन।
टिप्पणी -
[यद्यपि वैदिक साहित्यानुसार राजा क्षत्रिय होना चाहिये। परन्तु प्रजा के शासन में उसे सौम्य स्वभाववाला होकर, शासक होना चाहिये, और युद्धावस्था में उसे क्षात्रस्वभाववाला होकर युद्ध करना चाहिये। शासन, वैदिकमन्त्रप्रतिपादित विधि द्वारा होना चाहिये (देखो यजु० २०।५-९)।]