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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 129

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 129/ मन्त्र 19
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - याजुषी गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    श्येनी॒पती॒ सा ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    श्येनी॒पती॑ । सा॥१२९.१९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    श्येनीपती सा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    श्येनीपती । सा॥१२९.१९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 129; मन्त्र » 19

    पदार्थ -
    (सा) वह [सेवा करनेवाली बुद्धि-म० १७] (श्येनीपती) शीघ्र गतिवाली प्रजाओं की स्वामिनी होकर ॥१९॥

    भावार्थ - उत्तम बुद्धिवाला मनुष्य शीघ्र काम करनेवाला, स्वस्थ और उपकारी वचन बोलनेवाला होता है ॥१९, २०॥

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