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अथर्ववेद > काण्ड 8 > सूक्त 10 > पर्यायः 4

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  • अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 10/ मन्त्र 7
    सूक्त - अथर्वाचार्यः देवता - विराट् छन्दः - आसुरी गायत्री सूक्तम् - विराट् सूक्त

    तामन्त॑को मार्त्य॒वोऽधो॒क्तां स्व॒धामे॒वाधो॑क्।

    स्वर सहित पद पाठ

    ताम् । अन्त॑क: । मा॒र्त्य॒व: । अ॒धो॒क् । ताम् । स्व॒धाम् । ए॒व । अ॒धो॒क् ॥१३.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तामन्तको मार्त्यवोऽधोक्तां स्वधामेवाधोक्।

    स्वर रहित पद पाठ

    ताम् । अन्तक: । मार्त्यव: । अधोक् । ताम् । स्वधाम् । एव । अधोक् ॥१३.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 10; पर्यायः » 4; मन्त्र » 7

    पदार्थ -
    (ताम्) उस [विराट्] को (अन्तकः) मनोहर करनेवाले (मार्त्यवः) मृत्यु के स्वभाव जाननेवाले [जीव] ने (अधोक्) दुहा है, (ताम्) उससे (स्वधाम्) आत्मधारण शक्ति को (एव) भी (अधोक्) दुहा है ॥७॥

    भावार्थ - मृत्यु के तत्त्ववेत्ता पुरुष ईश्वरमहिमा से अमृत [पुरुषार्थ] प्राप्त करके अमर होते हैं ॥७॥

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