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  • यजुर्वेद - अध्याय 10/ मन्त्र 2
    ऋषिः - वरुण ऋषिः देवता - वृषा देवता छन्दः - स्वराट ब्राह्मी पङ्क्ति, स्वरः - पञ्चमः
    7

    वृष्ण॑ऽऊ॒र्मिर॑सि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ देहि॒ स्वाहा॑ वृष्ण॑ऽऊर्मिर॑सि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ देहि वृषसे॒नोऽसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रं मे॑ देहि॒ स्वाहा॑ वृषसे॒नोऽसि राष्ट्र॒दा रा॒ष्ट्रम॒मुष्मै॑ देहि॥२॥

    स्वर सहित पद पाठ

    वृष्णः॑। ऊ॒र्मिः। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। दे॒हि॒। स्वाहा॑। वृष्णः॑। ऊ॒र्मिः। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्रऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। दे॒हि॒। वृ॒ष॒से॒न इति॑ वृषऽसे॒नः। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। मे॒। दे॒हि॒। स्वाहा॑। वृ॒ष॒से॒न इति॑ वृषऽसे॒नः। अ॒सि॒। रा॒ष्ट्र॒दा इति॑ राष्ट्र॒ऽदाः। रा॒ष्ट्रम्। अ॒मुष्मै॑। दे॒हि॒ ॥२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    वृष्ण ऽऊर्मिरसि राष्ट्रदा राष्ट्रम्मे देहि स्वाहा वृष्णऽऊर्मिरसि राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै देहि वृषसेनोसि राष्ट्रदा राष्ट्रम्मे देहि स्वाहा । वृषसेनोसि राष्ट्रदा राष्ट्रममुष्मै देह्यर्थेत स्थ ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    वृष्णः। ऊर्मिः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। देहि। स्वाहा। वृष्णः। ऊर्मिः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। देहि। वृषसेन इति वृषऽसेनः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। मे। देहि। स्वाहा। वृषसेन इति वृषऽसेनः। असि। राष्ट्रदा इति राष्ट्रऽदाः। राष्ट्रम्। अमुष्मै। देहि॥२॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 10; मन्त्र » 2
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ- হে রাজন্ ! যে কারণে আপনি (বৃষঃ) সুখের বর্ষাকারক জ্ঞানপ্রাপ্ত কারী, (রাষ্ট্রদাঃ) রাজ্য প্রদাতা (অসি) হন ইহাতে (মে) আমাকে (স্বাহা) সত্যনীতি পূর্বক (রাষ্ট্রম্) রাজ্যকে (দেহি) প্রদান করুন । (বৃষ্ণঃ) সুখের বৃষ্টিকারক রাজ্য (ঊর্মিঃ) সম্পর্কে জ্ঞাতা এবং (রাষ্ট্রদাঃ) রাজ্য প্রদানকারী (অসি) হন্ । (অমুষ্মৈ) সেই রাজ্যের রক্ষাকারীকে (রাষ্ট্রম্) ন্যায়পূর্বক প্রকাশিত রাজ্যকে (দেহি) প্রদান করুন । (রাষ্ট্রদা) রাজাদিগের কর্মদাতা (বৃষসেনঃ) বলবান সেনা দ্বারা যুক্ত (অসি) হন্ । (মে) প্রত্যক্ষ বর্ত্তমান আমার জন্য (স্বাহা) সুন্দর বাণী দ্বারা (রাষ্ট্রম্) রাজ্যকে (দেহি) প্রদান করুন তথা (রাষ্ট্রদাঃ) প্রত্যক্ষ রাজ্য প্রদাতা (বৃষসেনঃ) আনন্দিত পুষ্টসেনা যুক্ত (অসি) হন্ । এইজন্য আপনি (অমুষ্মৈ) সেই পরোক্ষ পুরুষের জন্য (রাষ্ট্রম্) রাজ্যকে (দেহি) প্রদান করুন ॥ ২ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ- যে রাজপুরুষ দুষ্ট প্রাণিদের জিতিয়া প্রত্যক্ষ ও অপ্রত্যক্ষ শ্রেষ্ঠ পুরুষদিগের সৎকার করিয়া অধিকার ও শোভা প্রদান করে, তাহার জন্য চক্রবর্ত্তী রাজ্যের অধিকার হওয়া দরকার ॥ ২ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - বৃষ্ণ॑ऽঊ॒র্মির॑সি রাষ্ট্র॒দা রা॒ষ্ট্রং মে॑ দেহি॒ স্বাহা॑ বৃষ্ণ॑ऽঊর্মির॑সি রাষ্ট্র॒দা রা॒ষ্ট্রম॒মুষ্মৈ॑ দেহি বৃষসে॒নো᳖ऽসি রাষ্ট্র॒দা রা॒ষ্ট্রং মে॑ দেহি॒ স্বাহা॑ বৃষসে॒নো᳖ऽসি রাষ্ট্র॒দা রা॒ষ্ট্রম॒মুষ্মৈ॑ দেহি ॥ ২ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - বৃষ্ণ ঊর্মিরিত্যস্য বরুণ ঋষিঃ । বৃষা দেবতা । স্বরাড্ ব্রাহ্মী পংক্তিশ্ছন্দঃ ।
    পঞ্চমঃ স্বরঃ ॥

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