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  • यजुर्वेद - अध्याय 14/ मन्त्र 26
    ऋषिः - विश्वदेव ऋषिः देवता - ऋभवो देवताः छन्दः - निचृदतिजगती स्वरः - निषादः
    14

    यवा॑नां भा॒गोऽस्यय॑वाना॒माधि॑पत्यं प्र॒जा स्पृ॒ताश्च॑तुश्चत्वारि॒ꣳश स्तोम॑ऽ ऋभू॒णां भा॒गोऽसि॒ विश्वे॑षां दे॒वाना॒माधि॑पत्यं भू॒तꣳ स्पृ॒तं त्र॑यस्त्रि॒ꣳश स्तोमः॑॥२६॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यवा॑नाम्। भा॒गः। अ॒सि॒। अय॑वानाम्। आधि॑पत्य॒मित्याधि॑ऽपत्यम्। प्र॒जा इति॑ प्र॒ऽजाः। स्पृ॒ताः। च॒तु॒श्व॒त्वा॒रि॒ꣳश इति॑ चतुःऽच॒त्वा॒रि॒ꣳशः। स्तोमः॑। ऋ॒भू॒णाम्। भा॒गः। अ॒सि॒। विश्वे॑षाम्। दे॒वाना॑म्। आधि॑पत्य॒मित्याधि॑ऽपत्यम्। भू॒तम्। स्पृ॒तम्। त्र॒य॒स्त्रि॒ꣳश इति॑ त्रयःऽस्त्रि॒ꣳशः। स्तोमः॑ ॥२६ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यवानाम्भागोस्ययवानामाधिपत्यम्प्रजा स्पृताश्चतुश्चत्वारिँश स्तोमऽऋभूणाम्भागोसि विश्वेषान्देवानामाधिपत्यम्भूतँ स्पृतन्त्रयस्त्रिँश स्तोमः सहश्च ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    यवानाम्। भागः। असि। अयवानाम्। आधिपत्यमित्याधिऽपत्यम्। प्रजा इति प्रऽजाः। स्पृताः। चतुश्वत्वारिꣳश इति चतुःऽचत्वारिꣳशः। स्तोमः। ऋभूणाम्। भागः। असि। विश्वेषाम्। देवानाम्। आधिपत्यमित्याधिऽपत्यम्। भूतम्। स्पृतम्। त्रयस्त्रिꣳश इति त्रयःऽस्त्रिꣳशः। स्तोमः॥२६॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 14; मन्त्र » 26
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    पदार्थ -
    পদার্থঃ- হে মনুষ্য ! তুমি (য়বানাম্) মিশ্রিত পদার্থগুলির (ভাগঃ) সেবনকারক শরদ ঋতুর সমান (অসি) হও যাহা (অয়বানাম্) পৃথক্ পৃথক্ ধর্মযুক্ত পদার্থগুলির (আধিপত্যম্) অধিকার প্রাপ্ত হইয়া (স্পৃতাঃ) প্রীতিপূর্বক (প্রজাঃ) পালন করিবার যোগ্য প্রজাদিগকে প্রেমযুক্ত করে যাহা (চতুশ্চত্বারিংশ) চুয়াল্লিশ সংখ্যা পূর্ণ কারক (স্তোমঃ) স্তুতিযোগ্য (ঋভূণাম্) বুদ্ধিমানদিগের (ভাগঃ) সেবন করিবার যোগ্য (অসি) হয় (বিশ্বেষাম্) সমস্ত (দেবানাম্) বিদ্বান্দিগের (ভূতম্) অতীত (স্পৃতম্) সেবন কৃত (আধিপত্যম্) অধিকারকে প্রাপ্ত করিয়া যে (ত্রয়স্ত্রিংশঃ) তেত্রিশ সংখ্যার পূরক (স্তোমঃ) স্তুতির বিষয়ের সমান (অসি) হও, সুতরাং তুমি আমাদিগের সৎকার যোগ্য ॥ ২৬ ॥

    भावार्थ - ভাবার্থঃ- এই মন্ত্রে বাচকলুপ্তোপমালঙ্কার আছে । মনুষ্যদিগের উচিত যে, এই সব পূর্বের মন্ত্রগুলিতে শরদ্ ঋতুর গুণ বলা হইয়াছে তাহাদের যথাবৎ সেবন করে । এখানে শরদ্ ঋতুর ব্যাখ্যান পূর্ণ হইল ॥ ২৬ ॥

    मन्त्र (बांग्ला) - য়বা॑নাং ভা॒গো᳕ऽস্যয়॑বানা॒মাধি॑পত্যং প্র॒জা স্পৃ॒তাশ্চ॑তুশ্চত্বারি॒ꣳশ স্তোমঃ॑ ঋভূ॒ণাং ভা॒গো᳖ऽসি॒ বিশ্বে॑ষাং দে॒বানা॒মাধি॑পত্যং ভূ॒তꣳ স্পৃ॒তং ত্র॑য়স্ত্রি॒ꣳশ স্তোমঃ॑ ॥ ২৬ ॥

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - য়বানাং ভাগ ইত্যস্য বিশ্বদেব ঋষিঃ । ঋভবো দেবতাঃ । নিচৃদতিজগতী ছন্দঃ । নিষাদঃ স্বরঃ ॥

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