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  • यजुर्वेद - अध्याय 23/ मन्त्र 59
    ऋषिः - प्रजापतिर्ऋषिः देवता - प्रष्टा देवता छन्दः - निचृत त्रिष्टुप् स्वरः - धैवतः
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    कोऽअ॒स्य वे॑द॒ भुव॑नस्य॒ नाभिं॒ को द्यावा॑पृथि॒वीऽअ॒न्तरि॑क्षम्। कः सूर्य॑स्य वेद बृह॒तो ज॒नित्रं॒ को वे॑द च॒न्द्रम॑सं यतो॒जाः॥५९॥

    स्वर सहित पद पाठ

    कः। अ॒स्य॒। वे॒द॒। भुव॑नस्य। नाभि॑म्। कः। द्यावा॑पृथि॒वी इति॒ द्यावा॑पृथि॒वी। अ॒न्तरि॑क्षम्। कः। सूर्य॑स्य। वे॒द॒। बृ॒ह॒तः। ज॒नित्र॑म्। कः। वे॒द॒। च॒न्द्रम॑सम्। य॒तो॒जा इति॑ यतः॒ऽजाः ॥५९ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    कोऽअस्य वेद भुवनस्य नाभिङ्को द्यावापृथिवीऽअन्तरिक्षम् । कः सूर्यस्य वेद बृहतो जनित्रङ्को वेद चन्द्रमसँयतोजाः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    कः। अस्य। वेद। भुवनस्य। नाभिम्। कः। द्यावापृथिवी इति द्यावापृथिवी। अन्तरिक्षम्। कः। सूर्यस्य। वेद। बृहतः। जनित्रम्। कः। वेद। चन्द्रमसम्। यतोजा इति यतःऽजाः॥५९॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 23; मन्त्र » 59
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    पदार्थ -
    १. उद्गाता ब्रह्मा से पूछता है कि [क] (कः) = कौन (अस्य भुवनस्य) = इस ब्रह्माण्ड के (नाभिम्) = [नह्यते यत्र] बन्धनस्थान को वेद जानता है? नाभि में जैसे सारी नाड़ियों का बन्धन है, इसी प्रकार इस ब्रह्माण्ड का बन्धन किसमें है? किसमें बँधा होने के कारण यह गिर नहीं जाता? कौन इसे धारण किये हुए है? [ख] (कः) = कौन इस ब्रह्माण्ड की (द्यावा-पृथिवी-अन्तरिक्षम्) = द्युलोक, पृथिवीलोक व अन्तरिक्षलोकरूप त्रिलोकी को जानता है? इनके स्वरूप को कौन पूरा-पूरा समझता है ? [ग] (कः) = कौन (बृहतः सूर्यस्य) = महान् सूर्य के (जनित्रम्) = जन्म को (वेद) = जानता है? सूर्य किस प्रकार पैदा हुआ इस बात का उत्तर कौन दे सकता है? [घ] और (कः) = कौन वेद जानता है, इस (चन्द्रमसम्) = चन्द्रमा को कि (यतोजा:) = जिससे यह उत्पन्न हुआ है ?

    भावार्थ - इस प्रकार इस रहस्यमय सृष्टि की उत्पत्ति व धारण के विषय में प्रश्न को सुनकर ब्रह्मा उत्तर देते हैं-

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