Loading...
अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 16

काण्ड के आधार पर मन्त्र चुनें

  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 16/ मन्त्र 1
    सूक्त - अयास्यः देवता - बृहस्पतिः छन्दः - त्रिष्टुप् सूक्तम् - सूक्त-१६

    उ॑द॒प्रुतो॒ न वयो॒ रक्ष॑माणा॒ वाव॑दतो अ॒भ्रिय॑स्येव॒ घोषाः॑। गि॑रि॒भ्रजो॒ नोर्मयो॒ मद॑न्तो॒ बृह॒स्पति॑म॒भ्य॒र्का अ॑नावन् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒द॒ऽप्रुत॑: । न । वय॑: । रक्ष॑माणा: । वाव॑दत: । अ॒भ्र‍िय॑स्यऽइव । घोषा॑: ॥ गि॒रि॒ऽभ्रज॑: । न । ऊ॒र्मय॑: । मद॑न्त: । बृह॒स्पति॑म्। अ॒भि । अ॒र्का: । अ॒ना॒व॒न् ॥१६.१॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उदप्रुतो न वयो रक्षमाणा वावदतो अभ्रियस्येव घोषाः। गिरिभ्रजो नोर्मयो मदन्तो बृहस्पतिमभ्यर्का अनावन् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उदऽप्रुत: । न । वय: । रक्षमाणा: । वावदत: । अभ्र‍ियस्यऽइव । घोषा: ॥ गिरिऽभ्रज: । न । ऊर्मय: । मदन्त: । बृहस्पतिम्। अभि । अर्का: । अनावन् ॥१६.१॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 16; मन्त्र » 1

    पदार्थ -
    १. (उदप्रुत:) = जलों में विचरण करते हुए, (रक्षमाणा:) = व्याध आदि से अपना रक्षण करते हुए (वय: न) = पक्षियों के समान ऊँचा शब्द करते हुए (अर्का:) = अर्चना करनेवाले स्तोता (बृहस्पतिम्) = ज्ञान के स्वामी उस महान देव को (अभि अनावन्) = अभिष्टुत करते हैं। २. यह प्रभु का स्तवन इन स्तोताओं को भी वासनारूप शत्रुओं से बचाता है। ये उपासक काम-क्रोध आदि के शिकार नहीं हो जाते। २. (वावदत:) = खूब ही गर्जना के शब्दों को करते हुए (अभियस्य) = मेघसमूह के (घोषा:) = शब्दों की (इव) = भाँति ये स्तोता उस प्रभु के स्तुतिशब्दों का उच्चारण करते हैं। इन स्तोताओं का यह स्तुतिपाठ मेघध्वनि के समान गम्भीरता को लिये हुए होता है। ३. (गिरिभ्रज:) = पर्वतों से निकलनेवाले (मदन्तः) = सस्य आदि को तृस करते हुए (ऊर्मयः न) = [current, flow] जल प्रवाहों के समान शब्द करते हुए ये उपासक प्रभु का स्तवन करते हैं। इन उपासकों का यह स्तवन भी एक अद्भुत तृसि का साधन बनता है।

    भावार्थ - जलचर पक्षियों के समान, गर्जना करते हुए मेघों की ध्वनि के समान, पर्वत से प्रवाहित होते हुए झरनों के समान शब्द करते हुए ये उपासक प्रभु-स्तवन करते हैं। यह स्तवन उन्हें वासनाओं के आक्रमण से बचाता है। यह उनमें गम्भीरता व हर्ष उत्पन्न करता है। एवं यह स्तोता "अनासक्त, गम्भीर व उल्लासमय जीवनवाला होता है।

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top