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अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 7 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 10
    ऋषिः - अथर्वा देवता - भैषज्यम्, आयुष्यम्, ओषधिसमूहः छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - ओषधि समूह सूक्त
    67

    उ॑न्मु॒ञ्चन्ती॑र्विवरु॒णा उ॒ग्रा या वि॑ष॒दूष॑णीः। अथो॑ बलास॒नाश॑नीः कृत्या॒दूष॑णीश्च॒ यास्ता इ॒हा य॒न्त्वोष॑धीः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    उ॒त्ऽमु॒ञ्चन्ती॑: । वि॒ऽव॒रु॒णा: । उ॒ग्रा: । या: । वि॒ष॒ऽदूष॑णी: । अथो॒ इति॑ । ब॒ला॒स॒ऽनाश॑नी: । कृ॒त्या॒ऽदूष॑णी: । च॒ । या: । ता: । इ॒ह । आ । य॒न्तु॒ । ओष॑धी: ॥७.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    उन्मुञ्चन्तीर्विवरुणा उग्रा या विषदूषणीः। अथो बलासनाशनीः कृत्यादूषणीश्च यास्ता इहा यन्त्वोषधीः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    उत्ऽमुञ्चन्ती: । विऽवरुणा: । उग्रा: । या: । विषऽदूषणी: । अथो इति । बलासऽनाशनी: । कृत्याऽदूषणी: । च । या: । ता: । इह । आ । यन्तु । ओषधी: ॥७.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 7; मन्त्र » 10
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    रोग के विनाश का उपदेश।

    पदार्थ

    (याः) जो (उन्मुञ्चन्तीः) [रोग से] मुक्त करनेवाली, (विवरुणाः) विशेष करके स्वीकार करने योग्य, (उग्राः) बड़े बलवाली, (विषदूषणीः) विष हरनेवाली ! (अथो) और भी (याः) जो (बलासनाशनीः) बल गिरानेवाले [सन्निपात, कफादि] को नाश करनेवाली (च) और (कृत्यादूषणीः) पीड़ा मिटानेवाली हैं, (ताः) वे सब (ओषधीः) ओषधियाँ (इह) यहाँ (आ यन्तु) आवें ॥१०॥

    भावार्थ

    वैद्य लोग परीक्षित उत्तम ओषधियों का उपयोग करके रोगशान्ति करें ॥१०॥

    टिप्पणी

    १०−(उन्मुञ्चन्तीः) रोगात् मोचयित्र्यः (विवरुणाः) विशेषेण वरणीयाः स्वीकरणीयाः (उग्राः) प्रबलाः (याः) ओषधयः (विषदूषणीः) अ० ६।१००।१। विषनिवारयित्र्यः (अथो) अपि च (बलासनाशनीः) बलासो बलस्य असिता-अ० ४।९।८। श्लेष्मादिरोगनाशयित्र्यः (कृत्यादूषणीः) कृत्या हिंसाक्रिया-अ० ४।९।५। पीडाखण्डयित्र्यः (च) (याः) (ताः) (इह) (आयन्तु) आगच्छन्तु (ओषधीः) तापनाशकाः पदार्थाः ॥

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    विषय

    विषदूषणी: बलासनाशनी

    पदार्थ

    १. (ताः ओषधी:) = वे ओषधियाँ (इह आयन्तु) = यहाँ प्राप्त हों, (याः) = जोकि (उन्मुञ्चती:) = रोगों से मुक्त करनेवाली हैं। (विवरुणा) = विशेषरूप से वरणीय हैं, क्योंकि वे रोगों का निवारण करनेवाली हैं, (उग्राः) = जो अति प्रबल हैं, (विषदूक्षणी:) = विष को भी दूषित करनेवाली हैं। २. (अथो) = और अब (या:) = जो ओषधियों (बलासनाशनी:) = कफ़ का नाश करनेवाली हैं (च) = और (कृत्या दूषणी:) = छेदन-भेदन को दूषित करनेवाली हैं-छेदन-भेदन-जनित विकारों को दूर करनेवाली हैं।

    भावार्थ

    रोग से मुक्त करनेवाली, रोग का निवारण [prevention] करनेवाली, प्रभाववाली, विषदूषणी, कफ-विकार की निवारक, छेदनजनित विकार को दूर करनेवाली-ये सब ओषधियाँ यहाँ प्राप्त हों।

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    भाषार्थ

    (उन्मुञ्चन्तीः) रोग से मुक्त करती हुईं, (विवरुणाः) वारुण्य रोगों को विरहित करने वाली, (उग्राः) उद्गूर्ण बलशाली, (याः) जो (विषदूषणी) विषापहारी, (अथो) और (बलासनाशनीः) श्लेष अर्थात् कफरोग का नाश करने वाली, (याः च कृत्यादूषणीः) और जो हिंस्र क्रियाजन्य कष्टों को दूर करने वाली हैं, (ताः) वे (ओषधीः) ओषधियां (इह) यहां अर्थात् मेरे पास (आ यन्तु) आ जांय, मुझे प्राप्त हो जाय।

    टिप्पणी

    [विवरुणाः = वरुण के पाशों का वर्णन; देखो अथर्व० (४।१६।१-९); अथवा वरुण है जल, अतः जलीय रोगों से रहित करने वाली ओषधियां। जलोदर रोग जलीय है। जलप्राय प्रदेशों में होने वाले रोग भी जलीय हैं। "बलास" है कफ तथा कफोत्पन्न रोग। कफ बलास है, बल को क्षीण करता है, बल + असु क्षेपणे (दिवादिः)]।

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    विषय

    औषधि विज्ञान।

    भावार्थ

    (उत्-मुञ्चन्तीः) रोग से मुक्त करने हारी, (वि-वरुणाः) विशेष रूप से वरण करने योग्य या (विवरुणाः) वरुण से रहित, निर्जल, (उग्राः) अति बलवाली, (विष-दूषणीः) विषों की नाशक (अथो) और (बलास-नाशनीः) कफ को या शरीर के बलनाशक रोगों का नाश करनेवाली, (कृत्या-दूषणीः च) दुष्ट पुरुषों के दुष्ट घातक अपचारों से उत्पन्न पीड़ाओं का नाश करनेवाली, (ओषधीः) ओषधियां (याः) जो भी हैं (ताः) वे सब (इह) इस वैद्यशाला में (आ यन्तु) प्राप्त हों।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। मन्त्रोक्ताः ओषधयो देवता। १, ७, ९, ११, १३, १६, २४, २७ अनुष्टुभः। २ उपरिष्टाद् भुरिग् बृहती। ३ पुर उष्णिक्। ४ पञ्चपदा परा अनुष्टुप् अति जगती। ५,६,१०,२५ पथ्या पङ्क्तयः। १२ पञ्चपदा विराड् अतिशक्वरी। १४ उपरिष्टान्निचृद् बृहती। २६ निचृत्। २२ भुरिक्। १५ त्रिष्टुप्। अष्टाविंशर्चं सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Health and Herbs

    Meaning

    Let those herbs and medicines be brought here which free the patient from blood infections caused by violations of nature’s discipline, and, sharp in action, eliminate toxins and poisons, destroy phlegm and root out the bacteria of consumption.

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    Translation

    May here come the herbs, delivering, variously-coloured, strong, antidotes of poison, and also the removers of wasting disease, and those, that spoil the evil plottings (krtya) (of the foes).

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    Translation

    Let the medicinal plants which release the troubles, which are strong and powerful, which are antidote of poisons, which are free from plentiful watery substance, which drive away catarrh etc, and which frustrate the choking pains, be procured here.

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    Translation

    Medicines that free us from disease, cure dropsy, are strong in action, are antidotes of poison, remove cough and pneumonia, alleviate pain; let all of them be collected in this medical hall.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १०−(उन्मुञ्चन्तीः) रोगात् मोचयित्र्यः (विवरुणाः) विशेषेण वरणीयाः स्वीकरणीयाः (उग्राः) प्रबलाः (याः) ओषधयः (विषदूषणीः) अ० ६।१००।१। विषनिवारयित्र्यः (अथो) अपि च (बलासनाशनीः) बलासो बलस्य असिता-अ० ४।९।८। श्लेष्मादिरोगनाशयित्र्यः (कृत्यादूषणीः) कृत्या हिंसाक्रिया-अ० ४।९।५। पीडाखण्डयित्र्यः (च) (याः) (ताः) (इह) (आयन्तु) आगच्छन्तु (ओषधीः) तापनाशकाः पदार्थाः ॥

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