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अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 7 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 7/ मन्त्र 5
    ऋषिः - अथर्वा देवता - भैषज्यम्, आयुष्यम्, ओषधिसमूहः छन्दः - पथ्यापङ्क्तिः सूक्तम् - ओषधि समूह सूक्त
    61

    यद्वः॒ सहः॑ सहमाना वी॒र्यं यच्च॑ वो॒ बल॑म्। तेने॒मम॒स्माद्यक्ष्मा॒त्पुरु॑षं मुञ्चतौषधी॒रथो॑ कृणोमि भेष॒जम् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    यत् । व॒: । सह॑: । स॒ह॒मा॒ना॒: । वी॒र्य᳡म् । यत् । च॒ । व॒: । बल॑म् । तेन॑ । इ॒मम् । अ॒स्मात् । यक्ष्मा॑त् । पुरु॑षम् । मु॒ञ्च॒त॒ । ओ॒ष॒धी॒: । अथो॒ इति॑ । कृ॒णो॒मि॒ । भे॒ष॒जम् ॥७.५॥


    स्वर रहित मन्त्र

    यद्वः सहः सहमाना वीर्यं यच्च वो बलम्। तेनेममस्माद्यक्ष्मात्पुरुषं मुञ्चतौषधीरथो कृणोमि भेषजम् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    यत् । व: । सह: । सहमाना: । वीर्यम् । यत् । च । व: । बलम् । तेन । इमम् । अस्मात् । यक्ष्मात् । पुरुषम् । मुञ्चत । ओषधी: । अथो इति । कृणोमि । भेषजम् ॥७.५॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 7; मन्त्र » 5
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    रोग के विनाश का उपदेश।

    पदार्थ

    (सहमानाः) हे बलवालियों ! (यत्) जो (वः) तुम्हारा (सहः) पराक्रम और (वीर्यम्) वीरत्व (च) और (यत्) जो (वः) तुम्हारा (बलम्) बल है। (ओषधीः) हे तापनाशक ओषधियो ! (तेन) उस से (इमम्) इस (पुरुषम्) पुरुष को (अस्मात्) इस (यक्ष्मात्) राजरोग से (मुञ्चत) छुड़ाओ, (अथो) अब, मैं (भेषजम्) औषध (कृणोमि) करता हूँ ॥५॥

    भावार्थ

    मनुष्य पदार्थों के गुणों का परीक्षण करके विघ्नों को हटावें ॥५॥

    टिप्पणी

    ५−(यत्) (वः) युष्माकम् (सहः) पराक्रमः (सहमानाः) हे अभिभवशीलाः (वीर्यम्) वीरत्वम् (यत्) (च) (वः) (बलम्) (तेन) (इमम्) समीपस्थम् (अस्मात्) (यक्ष्मात्) राजरोगात् (पुरुषम्) मनुष्यम् (मुञ्चत) मोचयत (ओषधीः) अ० १।२३।१। हे ओषधयः। तापनाशयित्र्यः (अथो) आरम्भे। इदानीम् (कृणोमि) करोमि (भेषजम्) औषधम् ॥

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    विषय

    सहः, वीर्य, बलम्

    पदार्थ

    १. हे (सहमाना:) = रोगों का पराभव करनेवाली ओषधियो। (यत् व:) = जो तुम्हारा (सहः) = रोगों के पराभव का सामर्थ्य है, जो तुम्हारी (वीर्यम्) = रोगों को कम्पित करके दूर करने की शक्ति है [वि+ईर], (यत् च) = और जो (व: बलम्) = तुम्हारा बल है, (तेन) = उस 'सह,वीर्य व बल' से (इमं पुरुषम्) = इस पुरुष को (अस्मात् यक्ष्मात् मुञ्चत) = इस रोग से मुक्त करो। हे (ओषधी:) = तापनाशक ओषधियो! मैं (अथो) = अब तुम्हारे बल पर ही (भेषजं कृणोमि) = इस रुग्ण पुरुष की चिकित्सा करता हूँ।

    भावार्थ

    औषधियों में रोगों को कुचलने की शक्ति है [सहः], ये रोग को कम्पित करके दूर कर देती हैं [वीर्यम्], ये पुरुष को पुनः शक्ति प्रदान करती हैं [बलम्]।

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    भाषार्थ

    (सहमानाः) रोगों का पराभव करने वाली हे ओषधियो ! (यत) जो (वः) तुम्हारा (सहः) पराभवबल है, (वीर्यम्) उत्तम परिणामोत्पादक शक्ति है, (यत् च) और जो (वः) तुम्हारा (बलम्) बल है, (तेन) तद् द्वारा (इमम् पुरुषम्) इस पुरुष को (अस्मात् यक्ष्मात्) इस यक्ष्म से (ओषधीः) हे ओषधियो ! तुम (मुञ्चत) मुक्त करो, (अथो) अव (भेषजम् कृणोमि) औषधोपचार मैं करता हूं [यक्ष्म निराकरणार्थ]।

    टिप्पणी

    [ओषधियों और ओषधियों के गुणों के जानने वाला वैद्य, इन दोनों सहचार से, औषधोपचार होना चाहिये]।

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    विषय

    औषधि विज्ञान।

    भावार्थ

    हे ओषधियो ! तुम (सहमानाः) रोगों को दूर करने में बलवती हो। (यद्) जो (वः) तुम में (सहः) रोग दूर करने का सामर्थ्य (यत् च) और जो (वः) तुम्हारा (वीर्यम्) पुष्टिकारक रस और (बलम्) बल है (तेन) उससे (इमम्) इस (पुरुषम्) पुरुष को (अस्माद्) इस (यक्ष्माद्) राजयक्ष्मा आदि रोग से (मुञ्चत) छुड़ाओ। (अथो) और इस प्रकार ओषधियों के बल पर मैं (भेषजम्) रोगों को दूर करने का कार्य (कृणोमि) करता हूँ।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। मन्त्रोक्ताः ओषधयो देवता। १, ७, ९, ११, १३, १६, २४, २७ अनुष्टुभः। २ उपरिष्टाद् भुरिग् बृहती। ३ पुर उष्णिक्। ४ पञ्चपदा परा अनुष्टुप् अति जगती। ५,६,१०,२५ पथ्या पङ्क्तयः। १२ पञ्चपदा विराड् अतिशक्वरी। १४ उपरिष्टान्निचृद् बृहती। २६ निचृत्। २२ भुरिक्। १५ त्रिष्टुप्। अष्टाविंशर्चं सूक्तम्।

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Health and Herbs

    Meaning

    O powerful and victorious herbs, whatever the power, vigour and potency that’s yours, with that, pray, cure this patient of this consumptive ailment. And here I administer the medication.

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    Translation

    What is your conquering power, O conquerors, what your potency, and strength, with that may you deliver this man from this consumptive disease. O herbs, now I make you the medicine.

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    Translation

    Let these powerful plants deliver this man from this consumption by whatever overcoming power and whatever strength they possess in them. I, the physician prescribe these medicines.

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    Translation

    Ye, healing plants, the conquering strength, the power and might, which ye possess, therewith deliver this man from this consumption: for this I prepare the remedy.

    Footnote

    I: A skilled physician.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ५−(यत्) (वः) युष्माकम् (सहः) पराक्रमः (सहमानाः) हे अभिभवशीलाः (वीर्यम्) वीरत्वम् (यत्) (च) (वः) (बलम्) (तेन) (इमम्) समीपस्थम् (अस्मात्) (यक्ष्मात्) राजरोगात् (पुरुषम्) मनुष्यम् (मुञ्चत) मोचयत (ओषधीः) अ० १।२३।१। हे ओषधयः। तापनाशयित्र्यः (अथो) आरम्भे। इदानीम् (कृणोमि) करोमि (भेषजम्) औषधम् ॥

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