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  • यजुर्वेद - अध्याय 16/ मन्त्र 23
    ऋषिः - कुत्स ऋषिः देवता - रुद्रा देवताः छन्दः - निचृदतिजगती स्वरः - निषादः
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    नमो॑ विसृ॒जद्भ्यो॒ विद्ध्य॑द्भ्यश्च वो॒ नमो॒ नमः॑ स्व॒पद्भ्यो॒ जाग्र॑द्भ्यश्च वो॒ नमो॒ नमः॒ शया॑नेभ्य॒ऽआसी॑नेभ्यश्च वो॒ नमो॒ नम॒स्तिष्ठ॑द्भ्यो॒ धाव॑द्भ्यश्च वो॒ नमः॑॥२३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    नमः॑। वि॒सृ॒जद्भ्य॒ इति॑ विसृ॒जत्ऽभ्यः॑। विद्ध्य॑द्भ्य॒ इति॒ विद्ध्य॑त्ऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। स्व॒पद्भ्य॒ इति॑ स्व॒पत्ऽभ्यः॑। जाग्र॑द्भ्य॒ इति॒ जाग्र॑त्ऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। शया॑नेभ्यः। आसी॑नेभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑। नमः॑। तिष्ठ॑द्भ्य इति॒ तिष्ठ॑त्ऽभ्यः। धाव॑द्भ्य॒ इति॒ धाव॑त्ऽभ्यः। च॒। वः॒। नमः॑ ॥२३ ॥


    स्वर रहित मन्त्र

    नमो विसृजद्भ्यो विध्यद्भ्यश्च वो नमो नमः स्वपद्भ्यो जाग्रद्भ्यश्च वो नमो नमः शयानेभ्यऽआसीनेभ्यश्च वो नमो नमस्तिष्ठद्भ्यो धावद्भ्यश्च वो नमो नमः सभाभ्यः ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    नमः। विसृजद्भ्य इति विसृजत्ऽभ्यः। विद्ध्यद्भ्य इति विद्ध्यत्ऽभ्यः। च। वः। नमः। नमः। स्वपद्भ्य इति स्वपत्ऽभ्यः। जाग्रद्भ्य इति जाग्रत्ऽभ्यः। च। वः। नमः। नमः। शयानेभ्यः। आसीनेभ्यः। च। वः। नमः। नमः। तिष्ठद्भ्य इति तिष्ठत्ऽभ्यः। धावद्भ्य इति धावत्ऽभ्यः। च। वः। नमः॥२३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 16; मन्त्र » 23
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    पदार्थ -
    हे मनुष्यो! तुम ऐसा सब को जनाओ कि हम लोग (विसृजद्भ्यः) शत्रुओं पर शस्त्रादि छोड़ने वालों को (नमः) अन्नादि पदार्थ (च) और (विद्ध्यद्भ्यः) शस्त्रों से शत्रुओं को मारते हुए (वः) तुमको (नमः) अन्न (स्वपद्भ्यः) सोते हुओं के लिये (नमः) वज्र (च) और (जाग्रद्भ्यः) जागते हुए (वः) तुम को (नमः) अन्न (शयानेभ्यः) निद्रालुओं को (नमः) अन्न (च) और (आसीनेभ्यः) आसन पर बैठे हुए (वः) तुम को (नमः) अन्न (तिष्ठद्भ्यः) खड़े हुओं को (नमः) अन्न (च) और (धावद्भ्यः) शीघ्र चलते हुए (वः) तुम लोगों को (नमः) अन्न देवेंगे॥२३॥

    भावार्थ - गृहस्थों को चाहिये कि करुणामय वचन बोल और अन्नादि पदार्थ देके सब प्राणियों को सुखी करें॥२३॥

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