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  • यजुर्वेद - अध्याय 3/ मन्त्र 63
    ऋषिः - नारायण ऋषिः देवता - रुद्रो देवता छन्दः - भूरिक् जगती, स्वरः - निषादः
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    शि॒वो नामा॑सि॒ स्वधि॑तिस्ते पि॒ता नम॑स्तेऽअस्तु॒ मा मा॑ हिꣳसीः। निव॑र्त्तया॒म्यायु॑षे॒ऽन्नाद्या॑य प्र॒जन॑नाय रा॒यस्पोषा॑य सुप्रजा॒स्त्वाय॑ सु॒वीर्या॑य॥६३॥

    स्वर सहित पद पाठ

    शि॒वः। नाम॑। अ॒सि॒। स्वधि॑ति॒रिति॒ स्वऽधि॑तिः। ते॒। पि॒ता। नमः॑। ते॒। अ॒स्तु॒। मा। मा॒। हि॒ꣳसीः॒। नि। व॒र्त्त॒या॒मि॒। आ॑युषे। अ॒न्नाद्या॒येत्य॑न्न॒ऽअ॒द्याय॑। प्र॒जन॑ना॒येति प्र॒ऽजन॑नाय। रा॒यः। पोषा॑य। सु॒प्र॒जा॒स्त्वायेति॑ सुप्रजाः॒ऽत्वाय॑। सु॒वीर्य्या॒येति॑ सु॒ऽवीर्य्या॑य ॥६३॥


    स्वर रहित मन्त्र

    शिवो नामासि स्वधितिस्ते पिता नमस्ते अस्तु मा मा हिँसीः । निवर्त्तयाम्युषे न्नाद्याय प्रजननाय रायस्पोषाय सुप्रजास्त्वाय सुवीर्याय ॥


    स्वर रहित पद पाठ

    शिवः। नाम। असि। स्वधितिरिति स्वऽधितिः। ते। पिता। नमः। ते। अस्तु। मा। मा। हिꣳसीः। नि। वर्त्तयामि। आयुषे। अन्नाद्यायेत्यन्नऽअद्याय। प्रजननायेति प्रऽजननाय। रायः। पोषाय। सुप्रजास्त्वायेति सुप्रजाःऽत्वाय। सुवीर्य्यायेति सुऽवीर्य्याय॥६३॥

    यजुर्वेद - अध्याय » 3; मन्त्र » 63
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    Meaning -
    O God, Thou art certainly the Embodiment of grace, self-Existent, our Father, obeisance be to Thee. Harm me not. I approach Thee for long life, for nice food, for progeny, for riches in abundance, for noble children, and for heroic vigour.

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