Loading...
अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 24 के मन्त्र
मन्त्र चुनें
  • अथर्ववेद का मुख्य पृष्ठ
  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 24/ मन्त्र 11
    ऋषिः - अथर्वा देवता - इन्द्रः छन्दः - शक्वरी सूक्तम् - ब्रह्मकर्म सूक्त
    37

    इन्द्रो॑ दि॒वोऽधि॑पतिः॒ स मा॑वतु। अ॒स्मिन्ब्रह्म॑ण्य॒स्मिन्कर्म॑ण्य॒स्यां पु॑रो॒धाया॑म॒स्यां प्र॑ति॒ष्ठाया॑म॒स्यां चित्त्या॑म॒स्यामाकू॑त्याम॒स्यामा॒शिष्य॒स्यां दे॒वहू॑त्यां॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    इन्द्र॑: । दि॒व: ।अधि॑ऽपति: । स: । मा॒ । अ॒व॒तु॒ । अ॒स्मिन् । कर्म॑णि । अ॒स्याम् । पु॒र॒:ऽधाया॑म् । अ॒स्याम् । प्र॒ति॒ऽस्थाया॑म् । अ॒स्याम् । चित्त्या॑म् । अ॒स्याम् । आऽकू॑त्याम् । अ॒स्याम् । आ॒ऽशिषि॑ । अ॒स्याम् । दे॒वऽहू॑त्याम् । स्वाहा॑ ॥२४.११॥


    स्वर रहित मन्त्र

    इन्द्रो दिवोऽधिपतिः स मावतु। अस्मिन्ब्रह्मण्यस्मिन्कर्मण्यस्यां पुरोधायामस्यां प्रतिष्ठायामस्यां चित्त्यामस्यामाकूत्यामस्यामाशिष्यस्यां देवहूत्यां स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    इन्द्र: । दिव: ।अधिऽपति: । स: । मा । अवतु । अस्मिन् । कर्मणि । अस्याम् । पुर:ऽधायाम् । अस्याम् । प्रतिऽस्थायाम् । अस्याम् । चित्त्याम् । अस्याम् । आऽकूत्याम् । अस्याम् । आऽशिषि । अस्याम् । देवऽहूत्याम् । स्वाहा ॥२४.११॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 24; मन्त्र » 11
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    रक्षा के लिये प्रयत्न का उपदेश।

    पदार्थ

    (इन्द्रः) बिजुली (दिवः) व्यवहार का (अधिपतिः) अधिष्ठाता है (सः) वह... म० १ ॥११॥

    भावार्थ

    सब पदार्थों में बिजुली के कारण चेष्टा होकर व्यवहार की सिद्धि होती है, मनुष्य उसके गुण जान कर यथावत् उपकार करें ॥११॥

    टिप्पणी

    ११−(इन्द्रः) विद्युत्−दयानन्दभाष्ये य० २८।१७। (दिवः) दिवु व्यवहारे−डिवि। व्यवहारस्य ॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    'दिवः अधिपतिः' इन्द्रः

    पदार्थ

    १.(इन्द्रः) = विद्युत् (दिवः) = [दिवु व्यवहारे] सब व्यवहारों की (अधिपतिः) = स्वामिनी है। विद्युत् से सब व्यवहार सिद्ध होते हैं। सम्पूर्ण यन्त्रसमूह का इसके द्वारा परिचालन होता है। हम भी विद्युत् की भांति शीघ्रता से अनालस्य से कार्यों को करनेवाले बनें। २. (स:) = वह विद्युत् शीघ्रता से कार्य करने का उपदेश करती हुई (मा अवतु) = मेरा रक्षण करे । इससे रक्षित हुआ-हुआ मैं ज्ञान आदि उत्तम कर्मों में प्रवृत्त रहूँ। शेष पूर्ववत्।

    भावार्थ

    विद्युत् से हम शीघ्र कार्यकारित्व का पाठ पढ़ें। हममें आलस्य व दीर्घसूत्रता न हो।

    इस भाष्य को एडिट करें

    भाषार्थ

    (इन्द्रः दिवोऽधिपतिः) परमैश्वर्यवान् इन्द्र अर्थात् परमेश्वर द्युलोक का अधिपति है, (सः मा अवतु) वह मेरी रक्षा करे। (अस्मिन् ब्रह्मणि) इस वेदज्ञान की प्राप्ति में, (अस्मिन् कर्मणि) इस वैदिक कर्म में, (अस्याम् पुरोधायाम्) इस संमुख-स्थापित अभिलाषा की पूर्ति में, (अस्याम् प्रतिष्ठायाम् ) इस दृढ़ स्थिति में, (अस्याम्, चित्त्याम्) इस स्मृतिशक्ति में, (अस्याम् आकूत्याम् ) इस संकल्प में, (अस्याम् आशिष्यस्याम्) इस आशा की पूर्ति में, (देवहूत्याम्) दिव्यगुणों या विद्वानों के आह्वान में, (स्वाहा) यह उत्तम कथन हुआ है।

    इस भाष्य को एडिट करें

    विषय

    परमेश्वर से धर्म-कार्य में रक्षा की प्रार्थना।

    भावार्थ

    (दिवः) द्यौः ब्रह्माण्ड का जिस प्रकार (इन्द्रः) सूर्य ही (अधि-पतिः) स्वामी है उसी प्रकार वह सर्वैश्वर्यवान् प्रभु इन प्रकाशमान् सूर्यों का भी स्वामी है। वह उक्त शुभ कार्यों में हमारी रक्षा करे।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। ब्रह्मकर्मात्मा देवता। १-१७ चतुष्पदा अतिशक्वर्यः। ११ शक्वरी। १५-१६ त्रिपदा। १५, १६ भुरिक् अतिजगती। १७ विराड् अतिशक्वरी। सप्तदशर्चं सूक्तम्॥

    इस भाष्य को एडिट करें

    इंग्लिश (4)

    Subject

    Self-Protection, Brahma Karma

    Meaning

    Indra, lord omnipotent, is the presiding power and sustainer of the heavens. May Indra protect and promote me in this holy programme of divine learning, in this plan on hand, in this priestly task, in this prestigious position, in this project, in this resolution, in this blessed scheme, and in this divine act of yajna. This is a soulful prayer in all honesty of thought, word and deed.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    The resplendent Lord (Indra) is the lord of heaven; may he favour me in this prayer, in this rite, in this priestly representation, in this firm-standing, in this intent (or idea), in this design, in this benediction, and in this invocation of the bounties of Nature. Svaha.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Indrah, the powerful all-pervading electricity is the master power of heavenly region, let it protect me in this attainment of knowledge, in this my act, in this my sacerdotal undertaking, in this my act of life’s stability, in this intention, in this my deliberate activity, in this performance expectation and prosperity and in this my activity of yajna and science, Whatever uttered here-in is correct.

    इस भाष्य को एडिट करें

    Translation

    Just as the sun is the lord of heaven, so is God the Lord of luminous suns. May He preserve me, in this my study of the Vedas, in this duty of mine, in this my sacerdotal charge, in this noble performance, in this meditation, in this my resolve and determination, in this administration, in this assembly of the learned. May this noble prayer of mine be fulfilled.

    इस भाष्य को एडिट करें

    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ११−(इन्द्रः) विद्युत्−दयानन्दभाष्ये य० २८।१७। (दिवः) दिवु व्यवहारे−डिवि। व्यवहारस्य ॥

    इस भाष्य को एडिट करें
    Top