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अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 24 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 24/ मन्त्र 7
    ऋषिः - अथर्वा देवता - सोमः छन्दः - अतिशक्वरी सूक्तम् - ब्रह्मकर्म सूक्त
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    सोमो॑ वी॒रुधा॒मधि॑पतिः॒ स मा॑वतु। अ॒स्मिन्ब्रह्म॑ण्य॒स्मिन्कर्म॑ण्य॒स्यां पु॑रो॒धाया॑म॒स्यां प्र॑ति॒ष्ठाया॑म॒स्यां चित्त्या॑म॒स्यामाकू॑त्याम॒स्यामा॒शिष्य॒स्यां दे॒वहू॑त्यां॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    सोम॑: । वी॒रुधा॑म् । अधि॑ऽपति: । स: । मा॒ । अ॒व॒तु॒ । अ॒स्मिन् । कर्म॑णि । अ॒स्याम् । पु॒र॒:ऽधाया॑म् । अ॒स्याम् । प्र॒ति॒ऽस्थाया॑म् । अ॒स्याम् । चित्त्या॑म् । अ॒स्याम् । आऽकू॑त्याम् । अ॒स्याम् । आ॒ऽशिषि॑ । अ॒स्याम् । दे॒वऽहू॑त्याम् । स्वाहा॑ ॥२४.७॥


    स्वर रहित मन्त्र

    सोमो वीरुधामधिपतिः स मावतु। अस्मिन्ब्रह्मण्यस्मिन्कर्मण्यस्यां पुरोधायामस्यां प्रतिष्ठायामस्यां चित्त्यामस्यामाकूत्यामस्यामाशिष्यस्यां देवहूत्यां स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    सोम: । वीरुधाम् । अधिऽपति: । स: । मा । अवतु । अस्मिन् । कर्मणि । अस्याम् । पुर:ऽधायाम् । अस्याम् । प्रतिऽस्थायाम् । अस्याम् । चित्त्याम् । अस्याम् । आऽकूत्याम् । अस्याम् । आऽशिषि । अस्याम् । देवऽहूत्याम् । स्वाहा ॥२४.७॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 24; मन्त्र » 7
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    रक्षा के लिये प्रयत्न का उपदेश।

    पदार्थ

    (सोमः) ऐश्वर्य का कारण सोमलता (वीरुधाम्) उगनेवाली जड़ी बूटियों का (अधिपतिः) अधिष्ठाता है, (सः) वह (मा) मुझे (अवतु) बचावे,... म० १ ॥७॥

    भावार्थ

    मनुष्य उत्तम औषधियों के सेवन से यथावत् रक्षा करे ॥७॥

    टिप्पणी

    ७−(सोमः) अ० १।६।२। ऐश्वर्यहेतुः सोमलता−निरु० १४।१२। (वीरुधाम्) अ० १।३२।१। विरोहणशीलानां लतानाम् ॥

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    विषय

    "वीरुधामधिपतिः' सोमः

    पदार्थ

    १. गतमन्त्र में वर्णित प्राणसाधना से शरीर में सुरक्षित हुआ-हुआ (सोमः) = वीर्य (वीरुधाम्) = सब विरोहणों-उन्नतियों का (अधिपतिः) = स्वामी है। सोम-रक्षण से ही शरीर के रोग, मन के राग द्वेष व बुद्धि की कुण्ठता' दूर होती हैं। २. शरीर में सुरक्षित (सः) = वह सोम (मा अवतु) = मेरा रक्षण करे। हम सोम का रक्षण करते हैं, सोम हमारा रक्षण करता है। सोम से सुरक्षित मैं ज्ञान आदि की प्राप्ति में प्रवृत्त होऊँ। शेष पूर्ववत्।

    भावार्थ

    प्राणसाधना द्वारा में सोम का शरीर में रक्षण करूँ।

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    भाषार्थ

    (सोमः वीरुधाम् अधिपतिः) सोम [औपध] विरोहणशील लता-वनस्पतियों का अधिपति है, (स मा अवतु) वह मेरी रक्षा करे। (अस्मिन् ब्रह्मणि) इस वेदज्ञान की प्राप्ति में, (अस्मिन् कर्मणि) इस वैदिक कर्म में, (अस्याम् पुरोधायाम्) इस संमुख-स्थापित अभिलाषा की पूर्ति में, (अस्याम् प्रतिष्ठायाम् ) इस दृढ़ स्थिति में, (अस्याम्, चित्त्याम्) इस स्मृतिशक्ति में, (अस्याम् आकूत्याम् ) इस संकल्प में, (अस्याम् आशिष्यस्याम्) इस आशा की पूर्ति में, (देवहूत्याम्) दिव्यगुणों या विद्वानों के आह्वान में, (स्वाहा) यह उत्तम कथन हुआ है।

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    विषय

    परमेश्वर से धर्म-कार्य में रक्षा की प्रार्थना।

    भावार्थ

    (सोमः) सब का उत्पादक, सौम्यगुण से युक्त औषधि-रस सोमलता जिस प्रकार सब से श्रेष्ठ होने से (वीरुधाम्) नाना प्रकार से उगने वाली लताओं का (अधि-पतिः) पालक है उसी प्रकार सौम्यगुण युक्त राजा नाना प्रकार से फलने फूलने वाली प्रजाओं का अधिपति है। (सः) वह उक्त शुभ कार्यों में (मा अवतु) मेरी रक्षा करे।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। ब्रह्मकर्मात्मा देवता। १-१७ चतुष्पदा अतिशक्वर्यः। ११ शक्वरी। १५-१६ त्रिपदा। १५, १६ भुरिक् अतिजगती। १७ विराड् अतिशक्वरी। सप्तदशर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Self-Protection, Brahma Karma

    Meaning

    Soma, spirit of cosmic vitality, is the life and presiding power of herbs and trees. May soma protect and promote me in this spiritual pursuit of divinity, in this programme, in this holy undertaking, in this prestigious position, in this plan, in this resolution, in this discipline and realisation of benediction, and in this yajna of the divinities. This is the inner voice of the soul in truth of thought, word and deed.

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    Translation

    The king of medicinal herbs (Soma) is the lord of plants; may he favour me in this prayer, in this rite, in this priestly representation, in this firm standing, in this intent (or idea), in this design, in this benediction, and in this invocation of the bounties of Nature. Svaha.

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    Translation

    Soma, the vegetative energy of the world is the master power of herbs and creepers, let it protect me in this attainment of knowledge, in this my act, in this my sacerdotal undertaking, in this my act of life’s stability, in this intention, in this my deliberate activity, in this performance expectation and prosperity and in this my activity of yajna and science. Whatever is uttered herein is correct.

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    Translation

    Just as Soma is the lord of medicinal plants, so is God, the Lord of His subjects, may He preserve me, in this my study of the Vedas, in this duty of mine, in this my sacerdotal charge, in this noble performance, in this meditation, in this my resolve and determination, in this administration, in this assembly of the learned. May this noble prayer of mine be fulfilled.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    ७−(सोमः) अ० १।६।२। ऐश्वर्यहेतुः सोमलता−निरु० १४।१२। (वीरुधाम्) अ० १।३२।१। विरोहणशीलानां लतानाम् ॥

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