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अथर्ववेद के काण्ड - 5 के सूक्त 24 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 24/ मन्त्र 16
    ऋषिः - अथर्वा देवता - तताः पितरगणः छन्दः - त्रिपदा भुरिग्जगती सूक्तम् - ब्रह्मकर्म सूक्त
    35

    त॒ता अव॑रे ते मावन्तु। अ॒स्मिन्ब्रह्म॑ण्य॒स्मिन्कर्म॑ण्य॒स्यां पु॑रो॒धाया॑म॒स्यां प्र॑ति॒ष्ठाया॑म॒स्यां चित्त्या॑म॒स्यामाकू॑त्याम॒स्यामा॒शिष्य॒स्यां दे॒वहू॑त्यां॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    त॒ता: । अव॑रे । ते । मा॒ । अ॒व॒न्तु॒ । अ॒स्मिन् । कर्म॑णि । अ॒स्याम् । पु॒र॒:ऽधाया॑म् । अ॒स्याम् । प्र॒ति॒ऽस्थाया॑म् । अ॒स्याम् । चित्त्या॑म् । अ॒स्याम् । आऽकू॑त्याम् । अ॒स्याम् । आ॒ऽशिषि॑ । अ॒स्याम् । दे॒वऽहू॑त्याम् । स्वाहा॑ ॥२४.१६॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तता अवरे ते मावन्तु। अस्मिन्ब्रह्मण्यस्मिन्कर्मण्यस्यां पुरोधायामस्यां प्रतिष्ठायामस्यां चित्त्यामस्यामाकूत्यामस्यामाशिष्यस्यां देवहूत्यां स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तता: । अवरे । ते । मा । अवन्तु । अस्मिन् । कर्मणि । अस्याम् । पुर:ऽधायाम् । अस्याम् । प्रतिऽस्थायाम् । अस्याम् । चित्त्याम् । अस्याम् । आऽकूत्याम् । अस्याम् । आऽशिषि । अस्याम् । देवऽहूत्याम् । स्वाहा ॥२४.१६॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 5; सूक्त » 24; मन्त्र » 16
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    रक्षा के लिये प्रयत्न का उपदेश।

    पदार्थ

    (अवरे) पिछले काल में वर्तमान (ते) वे (तताः=ताताः) विस्तार करनेवाले पूज्य पुरुष (मा) मुझे (अवन्तु) बचावें... म० १ ॥१६॥

    भावार्थ

    मनुष्य वर्तमान काल के महापुरुषों के समान कार्य सिद्ध करके सदा उन्नति करें ॥१६॥

    टिप्पणी

    १६−(तताः) तनोति विस्तारयतीति तातः। दुतनिभ्यां दीर्घश्च। उ० ३।९०। इति तनु विस्तारे−क्त। छान्दसो ह्रस्वः। ताताः। विस्तारशीलाः पूज्याः (अवरे) पश्चात् काले वर्तमानाः। इदानीन्तनाः। अन्यद् गतम् ॥

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    विषय

    ते अवरे तताः

    पदार्थ

    १. (ते) = वे (अवरे) = हमसे पिछले काल में आनेवाले (तता:) = सन्तान [तन्यते, अथवा तनोति कुलम्] भी (मा अवन्तु) = मेरी रक्षा करें। 'मेरे पथभ्रंश का सन्तानों पर दुष्प्रभाव पड़ेगा तब वे मेरा क्या आदर करेंगी?' यह विचार ही हमें पथभ्रष्ट होने से रक्षित करता है। २. एवं, इन सूनुओं [Sons] से भी उत्तम प्रेरणा प्राप्त करके [ प्रेरणे] हम उत्तम मार्ग पर ही आगे बढ़ें। शेष पूर्ववत्।

    भावार्थ

    पुत्र भी हमें जीवन की उत्तमता के लिए प्रेरणा देनेवाले हों।

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    भाषार्थ

    (तताः) जो तात कहलाने योग्य (अवरे) छोटी आयु के पितर हैं, (ते मा अवन्तु) वे मेरी रक्षा करें। (अस्मिन् ब्रह्मणि) इस वेदज्ञान की प्राप्ति में, (अस्मिन् कर्मणि) इस वैदिक कर्म में, (अस्याम् पुरोधायाम्) इस संमुख-स्थापित अभिलाषा की पूर्ति में, (अस्याम् प्रतिष्ठायाम् ) इस दृढ़ स्थिति में, (अस्याम्, चित्त्याम्) इस स्मृतिशक्ति में, (अस्याम् आकूत्याम् ) इस संकल्प में, (अस्याम् आशिष्यस्याम्) इस आशा की पूर्ति में, (देवहूत्याम्) दिव्यगुणों या विद्वानों के आह्वान में, (स्वाहा) यह उत्तम कथन हुआ है।

    टिप्पणी

    [तताः= ताताः, पिता आदि, जोकि परिवार का विस्तार करते हैं, तनु विस्तारे (तनादिः)।]

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    विषय

    परमेश्वर से धर्म-कार्य में रक्षा की प्रार्थना।

    भावार्थ

    (तताः) पूर्व पुरुषों की सन्तानें (अवरे) जो बाद में या उनसे उतर कर हैं (ते) वे भी मेरी उक्त शुभ कार्यों में रक्षा करें।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    अथर्वा ऋषिः। ब्रह्मकर्मात्मा देवता। १-१७ चतुष्पदा अतिशक्वर्यः। ११ शक्वरी। १५-१६ त्रिपदा। १५, १६ भुरिक् अतिजगती। १७ विराड् अतिशक्वरी। सप्तदशर्चं सूक्तम्॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Self-Protection, Brahma Karma

    Meaning

    May the parental powers of closer time protect and promote me in this divine life, in this work I am doing, in this priestlike task of life, in this noble settled position, in this intelligent way of living, in this life of faith and resolution, in this state of benediction, and in this yajnic course of life dedicated to divinities. This is the earnest prayer from the depth of the heart.

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    Translation

    Fathers (tatah) are junior (avare); may they favour me in this prayer, in this rite, in this priestly representation, in this firmstanding, in this intent (or idea), in this design, in this benediction, and in this invocation of the bounties of Nature. Svaha.

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    Translation

    Tata, the men of practice and profession who are near to us, protect me in this attainment of knowledge, in this my act, in this my sacerdotal undertaking, in this my act of life's stability, in this intention, in this my deliberate activity, in this performance expectation and prosperity and in this my activity of yajna and science. Whatever uttered herein is correct.

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    Translation

    May my venerable forefathers preserve me, in this my study of the Vedas, in this duty of mine, in this my sacerdotal charge, in this noble performance, in this meditation, in this my resolve and determination, in this administration, in this assembly of the learned. May this noble prayer of mine be fulfilled.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    १६−(तताः) तनोति विस्तारयतीति तातः। दुतनिभ्यां दीर्घश्च। उ० ३।९०। इति तनु विस्तारे−क्त। छान्दसो ह्रस्वः। ताताः। विस्तारशीलाः पूज्याः (अवरे) पश्चात् काले वर्तमानाः। इदानीन्तनाः। अन्यद् गतम् ॥

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