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अथर्ववेद के काण्ड - 8 के सूक्त 6 के मन्त्र
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  • अथर्ववेद - काण्ड {"suktas":143,"mantras":958,"kand_no":20}/ सूक्त 6/ मन्त्र 20
    ऋषिः - मातृनामा देवता - मातृनामा अथवा मन्त्रोक्ताः छन्दः - अनुष्टुप् सूक्तम् - गर्भदोषनिवारण सूक्त
    63

    परि॑सृष्टं धारयतु॒ यद्धि॒तं माव॑ पादि॒ तत्। गर्भं॑ त उ॒ग्रौ र॑क्षतां भेष॒जौ नी॑विभा॒र्यौ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    परि॑ऽसृष्टम् । धा॒र॒य॒तु॒ । यत् । हि॒तम् । मा । अव॑ । प‍ा॒दि॒ । तत् । गर्भ॑म् । ते॒ । उ॒ग्रौ । र॒क्ष॒ता॒म् । भे॒ष॒जौ । नी॒वि॒ऽभार्यौ᳡ । ६.२०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    परिसृष्टं धारयतु यद्धितं माव पादि तत्। गर्भं त उग्रौ रक्षतां भेषजौ नीविभार्यौ ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    परिऽसृष्टम् । धारयतु । यत् । हितम् । मा । अव । प‍ादि । तत् । गर्भम् । ते । उग्रौ । रक्षताम् । भेषजौ । नीविऽभार्यौ । ६.२०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 6; मन्त्र » 20
    Acknowledgment

    हिन्दी (4)

    विषय

    गर्भ की रक्षा का उपदेश।

    पदार्थ

    [हे स्त्री !] (परिसृष्टम्) सब प्रकार युक्त [कर्म] [तुझे] (धारयतु) धारण करे, (यत्) जो (हितम्) हित है, (तत्) वह (मा अव पादि) न गिर जावे। (उग्रौ) दोनों नित्य सम्बन्धवाले, (नीविभार्यौ) नीति [नियम] से धारण करने योग्य, (भेषजौ) भय जीतनेवाले [बल और पराक्रम, अर्थात् शारीरिक और आत्मिक सामर्थ्य] (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ की (रक्षताम्) रक्षा करें ॥२०॥

    भावार्थ

    गर्भिणी समुचित कर्म से शारीरिक और आत्मिक बल बढ़ा कर गर्भरक्षा करे ॥२०॥

    टिप्पणी

    २०−(परिसृष्टम्) सृज विसर्गे-क्त। सर्वतो युक्तं कर्म (धारयतु) दधातु−त्वामिति शेषः (यत्) गर्भरूपं वस्तु (हितम्) अभिमतम् (मा अव पादि) अवपन्नं विस्रस्तं मा भूत् (तत्) (गर्भम्) (ते) तव (उग्रौ) ऋज्रेन्द्राग्रवज्र०। उ० २।२८। उच समवाये-रन्नन्तो निपातः। समवेतौ (रक्षताम्) (भेषजौ) भयजेतारौ। बलपराक्रमौ (नीविभार्यौ) अ० ८।२।१६। वृदृभ्यां विन्। उ० ४।५३। णीञ् प्रापणे-विन्+भृञ् धारणे−ण्यत्। नीव्या नीत्या नियमेन धारणीयौ ॥

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    विषय

    नीविभायौँ [भेषजौ]

    पदार्थ

    १. स्त्री (परिसृष्टं धारयत) = पति द्वारा प्रदत्त वीर्य को अपने अन्दर धारण करे, (यत् हितम्) = जो वीर्य गर्भस्थिति के लिए धारण किया गया है, (तत् मा अवपादि) = वह नष्ट न हो जाए। हे स्त्रि! (ते गर्भम्) = तेरे इस गर्भ को-गर्भस्थ बालक को (उग्रौ भेषजौ) = उद्गुर्ण बलवाले ये ओषधरूप श्वेत व पीत सर्षप (रक्षताम्) = रक्षित करें। ये दोषों को दूर करनेवाले सर्वप (नीविभायौँ) = तेरे मूलधनरूप इस आहित वीर्य को सुन्दरता से भरण करनेवाले हैं।

    भावार्थ

    श्वेत व पीत सर्षप प्रबल भेषज हैं। इनका प्रयोग पति-प्रदत्त वीर्य का स्त्रीगर्भ में धारण करने में सहायक होता है और धारित गर्भ को नष्ट नहीं होने देता।

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    भाषार्थ

    (परिसृष्टम्) सृष्ट अर्थात् पैदा हुए शिशु का [माता] (धारयतु) धारण-पोषण करे, (यत्) जो (हितम्) गर्भ में निहित हुआ है (तत्) वह (मा)(अवपादि) नीचे गिरे, अर्थात् उस का गर्भपात न हो। (उग्रौ भेषजौ) दो उग्र भेषज, (नीविभार्यौ) जो कि अधोवस्त्र में धारण करने योग्य हैं, – (ते) तेरे (गर्भम्) गर्भ को (रक्षताम्) सुरक्षित करें।

    टिप्पणी

    [माता को शिशु की सुरक्षार्थ परामर्श दिया है। नीविः= स्त्री के कटि प्रदेश का वस्त्र, या इस वस्त्र के प्रान्त भागों को परस्पर बान्धने की गांठ। भेषजौ= श्वेतपीतोभयविधौ सर्षपौ (सायण)। भार्यौ= भृञ् धारणपोषणयोः]।

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    विषय

    कन्या के लिये अयोग्य और वर्जनीय वर और स्त्रियों की रक्षा।

    भावार्थ

    स्त्री (परिसृष्टम्) सब प्रकार से परिपूर्ण गर्भ को अथवा अपने पति द्वारा गर्भ में आहित वीर्य को (धारयतु) धारण करे और (यत्) जो गर्भ में (हितम्) धारण करले (तत्) वह (मा अवपादि) कभी नीचे न गिरे कभी गर्भ का पात न किया जाय। हे स्त्रि ! (ते गर्भम्) तेरे गर्भ को (उग्रौ) उग्र बलशाली (नीवि-भार्यौं) धन और स्त्री के गर्भ की रक्षा करने वाले राजा और पति दोनों (भेषजौ) दो ओषधियों के समान होकर (रक्षताम्) रक्षा करें।

    टिप्पणी

    missing

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर

    मातृनामा ऋषिः। मातृनामा देवता। उत मन्त्रोक्ता देवताः। १, ३, ४-९,१३, १८, २६ अनुष्टुभः। २ पुरस्ताद् बृहती। १० त्र्यवसाना षट्पदा जगती। ११, १२, १४, १६ पथ्यापंक्तयः। १५ त्र्यवसाना सप्तपदा शक्वरी। १७ त्र्यवसाना सप्तपदा जगती॥

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    इंग्लिश (4)

    Subject

    Foetus Protection

    Meaning

    Let the woman hold the seed planted in the womb. Let not the foetus, secured and held, be not dislodged and miscarried. O expectant mother, let two powerful herbs, Baja and Pinga, worn by the girdle zone protect your foetus till maturity.

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    Translation

    Let it hold the seed deposited. What is laid, may that not abort. May these two strong medicines, to be kept in your underwear, protect your embryo.

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    Translation

    Let these two medicinal plants (Pinga and Baja) which are very effective healer, which are to be worn within the girdle guard your babe, O woman! Let you maintain the genial seed, let your embryo laid in womb rest secure.

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    Translation

    Let the woman preserve the genial seed: let the-laid embryo rest secure. Let both strong king and husband, the guardians of the wealth and conception of the woman, protect the babe.

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    संस्कृत (1)

    सूचना

    कृपया अस्य मन्त्रस्यार्थम् आर्य(हिन्दी)भाष्ये पश्यत।

    टिप्पणीः

    २०−(परिसृष्टम्) सृज विसर्गे-क्त। सर्वतो युक्तं कर्म (धारयतु) दधातु−त्वामिति शेषः (यत्) गर्भरूपं वस्तु (हितम्) अभिमतम् (मा अव पादि) अवपन्नं विस्रस्तं मा भूत् (तत्) (गर्भम्) (ते) तव (उग्रौ) ऋज्रेन्द्राग्रवज्र०। उ० २।२८। उच समवाये-रन्नन्तो निपातः। समवेतौ (रक्षताम्) (भेषजौ) भयजेतारौ। बलपराक्रमौ (नीविभार्यौ) अ० ८।२।१६। वृदृभ्यां विन्। उ० ४।५३। णीञ् प्रापणे-विन्+भृञ् धारणे−ण्यत्। नीव्या नीत्या नियमेन धारणीयौ ॥

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