अथर्ववेद - काण्ड 10/ सूक्त 8/ मन्त्र 3
सूक्त - कुत्सः
देवता - आत्मा
छन्दः - त्रिष्टुप्
सूक्तम् - ज्येष्ठब्रह्मवर्णन सूक्त
ति॒स्रो ह॑ प्र॒जा अ॑त्या॒यमा॑य॒न्न्यन्या अ॒र्कम॒भितो॑ऽविशन्त। बृ॒हन्ह॑ तस्थौ॒ रज॑सो वि॒मानो॒ हरि॑तो॒ हरि॑णी॒रा वि॑वेश ॥
स्वर सहित पद पाठति॒स्र: । ह॒ । प्र॒ऽजा: । अ॒ति॒ऽआ॒यम् । आ॒य॒न् । नि । अ॒न्या: । अ॒र्कम् । अ॒भित॑: । अ॒वि॒श॒न्त॒ । बृ॒हन् । ह॒ । त॒स्थौ॒ । रज॑स: । वि॒ऽमान॑: । हरि॑त: । हरि॑णी: । आ । वि॒वे॒श॒ ॥८.३॥
स्वर रहित मन्त्र
तिस्रो ह प्रजा अत्यायमायन्न्यन्या अर्कमभितोऽविशन्त। बृहन्ह तस्थौ रजसो विमानो हरितो हरिणीरा विवेश ॥
स्वर रहित पद पाठतिस्र: । ह । प्रऽजा: । अतिऽआयम् । आयन् । नि । अन्या: । अर्कम् । अभित: । अविशन्त । बृहन् । ह । तस्थौ । रजस: । विऽमान: । हरित: । हरिणी: । आ । विवेश ॥८.३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 10; सूक्त » 8; मन्त्र » 3
भाषार्थ -
(तिस्रः प्रजाः) तीन प्रजाएं (अत्यायमायन्) अतिगति को प्राप्त हुई है (अन्याः) सूर्य से भिन्न ये (अर्कम् अमितः) सूर्य के सम्मुख हुई (नि अविशन्त) निविष्ट हुई हैं, अपने-अपने स्थानों में निवेश पाई हुई है। (बृहन्) बड़ा अर्थात् महाकाय सूर्य, (रजसः) जो कि ज्योति का (विमानः) निर्माण करता है (तस्थौ१) स्थित है (हरितः) वह इन तीनों का हरण करता हुआ (हरिणीः) दिशाओं में (आ विवेश) आविष्ट अर्थात् प्रविष्ट हुआ है।
टिप्पणी -
[तीन प्रजाएं हैं ग्रह, उपग्रह, और धूम्रकेतु। ये तीनों सूर्य की प्रजाएं हैं, सूर्य से पैदा हुए हैं। ये अतिशीघ्रगति वाले हैं। अत्यायम्= अति + आयम् (अय गतौ) अतिगति को "आयन" प्राप्त हुए हैं। ये "अन्याः" हैं सूर्य से भिन्न हैं। ये सूर्य के अभिमुख हुए निज स्थानों में निविष्ट हैं। सूर्य इन सब से बड़ा है परिमाण में महाकाय है, और "तस्थौ" स्थित है गतिरहित है। यह निजस्थान में स्थित हुआ तीन प्रजाओं का हरण किये हुये है, इन्हें अपने से अलग नहीं करता अपने स्वायत्त में किये हुये है, मानो इन का अपहरण किये हुए है। हरिणीः= दिशाएं (ऋ० ८।१०१।१४, वेंकट माधव)। ऋग्वेद में "हरित आविवेश" पाठ है। हरितः का अर्थ वेङ्कटमाधव ने "दिशः" किया है। अथर्ववेद में “हरितः" के स्थान में "हरिणीः" पाठ है, अतः वेङ्कटमाधव के अर्थ के अनुरूप हरिणीः का अर्थ दिशाएं किया है। तथा हरितः "दिङ्नाम" (निघं० १।६)। रजः ज्योतिः (निरुक्त ४।३।३९)] [१. सूर्य पूर्व से पश्चिम की ओर गति करता हुआ दीखता है, परन्तु है यह स्थित]