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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 71

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 71/ मन्त्र 12
    सूक्त - मधुच्छन्दाः देवता - इन्द्रः छन्दः - गायत्री सूक्तम् - सूक्त-७१

    अ॒स्मान्त्सु तत्र॑ चोद॒येन्द्र॑ रा॒ये रभ॑स्वतः। तुवि॑द्युम्न॒ यश॑स्वतः ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अ॒स्मान् । सु । तत्र॑ । चो॒द॒य॒ । इन्द्र॑ । रा॒ये । रभ॑स्वत: ॥ तुवि॑ऽद्यु॒म्न । यश॑स्वत: ॥७१.१२॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अस्मान्त्सु तत्र चोदयेन्द्र राये रभस्वतः। तुविद्युम्न यशस्वतः ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अस्मान् । सु । तत्र । चोदय । इन्द्र । राये । रभस्वत: ॥ तुविऽद्युम्न । यशस्वत: ॥७१.१२॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 71; मन्त्र » 12

    भाषार्थ -
    (इन्द्र) हे परमेश्वर! (राये) आध्यात्मिक-धन (पूर्व मन्त्र ११) की प्राप्ति के लिए (अस्मान्) हम (रभस्वतः) अति प्रयत्नशील उपासकों को, (तत्र) अध्यात्म-मार्ग में, (सु चोदय) सम्यक् प्रेरित कीजिए। (तुविद्युम्न) हे आध्यात्मिक सम्पत्तियों के महाधनी! (यशस्वतः) उस धन की प्राप्ति द्वारा हमें यशस्वी कीजिए।

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