अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 17
सूक्त -
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
अथो॑ इ॒यन्निय॒न्निति॑ ॥
स्वर सहित पद पाठअथो॑ । इ॒यन्ऽइय॒न् । इति॑ ॥१३०.१७॥
स्वर रहित मन्त्र
अथो इयन्नियन्निति ॥
स्वर रहित पद पाठअथो । इयन्ऽइयन् । इति ॥१३०.१७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 17
विषय - भूमि और स्त्री।
भावार्थ -
(अथो) तब सब लोग कहा करते हैं (अयम् अयम् इति) यह वह पुरुष हैं, यह वह पुरुष है, जो राजा, विजयी, भूमि रूप राजलक्ष्मी का पति है।
टिप्पणी -
‘इयन्नियन्निति’ इति शं० पा०। ‘इयमियमिति’ इति राथह्वि।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing
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