अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 7
यवा॑नो यति॒ष्वभिः॑ कुभिः ॥
स्वर सहित पद पाठयवा॑न: । यति॒ष्वभि॑: । कुभि: ॥१३०.७॥
स्वर रहित मन्त्र
यवानो यतिष्वभिः कुभिः ॥
स्वर रहित पद पाठयवान: । यतिष्वभि: । कुभि: ॥१३०.७॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 7
विषय - भूमि और स्त्री।
भावार्थ -
(यवाः) जौ आदि अन्न, खाद्य पदार्थ (कुक्षिम्) पेट में (न उपतिष्ठन्ति) नहीं ठहरते !
टिप्पणी -
‘यवानो यतिस्वभिकुभिः’ इति श० पा०। ‘यवावो’ इति क्वचित्।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing
इस भाष्य को एडिट करें