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अथर्ववेद > काण्ड 20 > सूक्त 130

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  • अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 19
    सूक्त - देवता - प्रजापतिः छन्दः - प्राजापत्या गायत्री सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त

    अथो॒ श्वा अस्थि॑रो भवन् ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    अथो॑ । श्वा । अस्थि॑र: । भवन् ॥१३०.१९॥


    स्वर रहित मन्त्र

    अथो श्वा अस्थिरो भवन् ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    अथो । श्वा । अस्थिर: । भवन् ॥१३०.१९॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 19

    भावार्थ -
    (अथो) इस प्रकार (नः) हमारे (अश्वाः) अश्व, घुड़ सवार (अस्थूरि) दोष रहित, (भवन्) हों।

    ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing

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