अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 13
शृङ्ग॑ उत्पन्न ॥
स्वर सहित पद पाठशृङ्ग॑: । उत्पन्न ॥१३०.१३॥
स्वर रहित मन्त्र
शृङ्ग उत्पन्न ॥
स्वर रहित पद पाठशृङ्ग: । उत्पन्न ॥१३०.१३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 13
विषय - भूमि और स्त्री।
भावार्थ -
(शृङ्गे) सींग नरसिंगा (उत्पन्ने) बजने पर अर्थात् युद्ध की घोषणा हो जाने पर हे राजन् (त्वा) तुझ को (नः) हमारा (सखा अपि) मित्र राजा भी (मा विदत्) प्राप्त न करे, वह तुझको न जाने कि तु कहां सुरक्षित है।
टिप्पणी -
‘शृङ्ग उत्पन्न’ इति श० पा०।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing
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