अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 6
सूक्त -
देवता - प्रजापतिः
छन्दः - प्राजापत्या गायत्री
सूक्तम् - कुन्ताप सूक्त
कुहा॑कं पक्व॒कं पृ॑च्छ ॥
स्वर सहित पद पाठकुहा॑कम् । पक्व॒कम् । पृ॑च्छ ॥१३०.६॥
स्वर रहित मन्त्र
कुहाकं पक्वकं पृच्छ ॥
स्वर रहित पद पाठकुहाकम् । पक्वकम् । पृच्छ ॥१३०.६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 6
विषय - भूमि और स्त्री।
भावार्थ -
(कुहा) कहां (कं) किस (पक्वकं) परिपक्व ज्ञान वाले पुरुष को प्राप्त कर मैं (पृच्छे) प्रश्न करूं।
टिप्पणी -
‘पृच्छ’ इति शं० पा०।
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing
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