अथर्ववेद - काण्ड 20/ सूक्त 130/ मन्त्र 3
को अर्जु॑न्याः॒ पयः॑ ॥
स्वर सहित पद पाठक: । अर्जु॑न्या॒ । पय॑: ॥१३०.३॥
स्वर रहित मन्त्र
को अर्जुन्याः पयः ॥
स्वर रहित पद पाठक: । अर्जुन्या । पय: ॥१३०.३॥
अथर्ववेद - काण्ड » 20; सूक्त » 130; मन्त्र » 3
विषय - भूमि और स्त्री।
भावार्थ -
(अर्जुन्याः) अर्जुनी, श्वेत गौ का (पयः) दूध (कः) कौन ग्रहण करता है ! (कः) प्रजापति राजा ही (अर्जुन्याः) श्वेत धातु रत्न आदि से पूर्ण पृथिवी और धनार्जन करने वाली प्रजा का (पयः) पुष्टिकारक, धनैश्वर्य आदि ग्रहण करता है।
टिप्पणी -
missing
ऋषि | देवता | छन्द | स्वर - missing
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