ऋग्वेद - मण्डल 1/ सूक्त 191/ मन्त्र 9
ऋषि: - अगस्त्यो मैत्रावरुणिः
देवता - अबोषधिसूर्याः
छन्दः - विराडनुष्टुप्
स्वरः - गान्धारः
उद॑पप्तद॒सौ सूर्य॑: पु॒रु विश्वा॑नि॒ जूर्व॑न्। आ॒दि॒त्यः पर्व॑तेभ्यो वि॒श्वदृ॑ष्टो अदृष्ट॒हा ॥
स्वर सहित पद पाठउत् । अ॒प॒प्त॒त् । अ॒सौ । सूर्यः॑ । पु॒रु । विश्वा॑नि । जूर्व॑न् । आ॒दि॒त्यः । पर्व॑तेभ्यः । वि॒श्वऽदृ॑ष्टः । अ॒दृ॒ष्ट॒ऽहा ॥
स्वर रहित मन्त्र
उदपप्तदसौ सूर्य: पुरु विश्वानि जूर्वन्। आदित्यः पर्वतेभ्यो विश्वदृष्टो अदृष्टहा ॥
स्वर रहित पद पाठउत्। अपप्तत्। असौ। सूर्यः। पुरु। विश्वानि। जूर्वन्। आदित्यः। पर्वतेभ्यः। विश्वऽदृष्टः। अदृष्टऽहा ॥ १.१९१.९
ऋग्वेद - मण्डल » 1; सूक्त » 191; मन्त्र » 9
अष्टक » 2; अध्याय » 5; वर्ग » 15; मन्त्र » 4
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अष्टक » 2; अध्याय » 5; वर्ग » 15; मन्त्र » 4
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भाष्य भाग
संस्कृत (1)
विषयः
पुनः सूर्यदृष्टान्तेनैवोक्तविषयमाह ।
अन्वयः
हे विद्वन् यथाऽसौ सूर्यो विश्वानि पुरु जूर्वन्नुदपप्तद्यथादित्यः पर्वतेभ्य उदपप्तत्तथाऽदृष्टहा विश्वदृष्टो भिषग्विषनिवारणे प्रयतेत ॥ ९ ॥
पदार्थः
(उत्) (अपप्तत्) (असौ) (सूर्यः) सविता (पुरु) बहु (विश्वानि) सर्वाणि (जूर्वन्) विनाशयन् (आदित्यः) (पर्वतेभ्यः) मेघेभ्यः शैलेभ्यो वा (विश्वदृष्टः) सर्वैर्दृष्टः (अदृष्टहा) यो गुप्तान् विषान् हन्ति सः ॥ ९ ॥
भावार्थः
अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा सविता स्वप्रकाशेन सर्वान् पदार्थान् प्राप्नोति तथा विषसंपृक्तवाय्वादिपदार्थान् विषहरणशीला वैद्या हरन्ति प्राणिनः सुखयन्ति च ॥ ९ ॥
हिन्दी (1)
विषय
फिर सूर्य के दृष्टान्त से ही उक्त विषय को अगले मन्त्र में कहा है ।
पदार्थ
हे विद्वन् ! जैसे (असौ) यह (सूर्यः) सूर्यमण्डल (विश्वानि) समस्त अन्धकारजन्य दुःखों को (पुरु) बहुत (जूर्वन्) विनाश करता हुआ (उत्, अपप्तन्) उदय होता है और जैसे (आदित्यः) आदित्य सूर्य (पर्वतेभ्यः) पर्वत वा मेघों से उदय को प्राप्त होता है वैसे (अदृष्टहा) गुप्त विषों को विनाश करनेवाला (विश्वदृष्टः) सभों ने देखा हुआ विष हरनेवाला वैद्य विष को निवृत्त करने का प्रयत्न करे ॥ ९ ॥
भावार्थ
इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे सविता अपने प्रकाश से सब पदार्थों को प्राप्त होता है, वैसे विषहरणशील वैद्य जन विषसंयुक्त पवन आदि पदार्थों को हरते और प्राणियों को सुखी करते हैं ॥ ९ ॥
मराठी (1)
भावार्थ
या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा सूर्य आपल्या प्रकाशाने सर्व पदार्थ प्रकाशित करतो तसे विषहरणशील वैद्य विषयुक्त वायू दूर करतो व प्राण्यांना सुखी करतो. ॥ ९ ॥
English (1)
Meaning
The sun rises there, lord of light, from behind the mountains and the clouds, showing to the entire world and destroying all the poisons on a large scale, invisible evils which thrive in the dark.
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