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  • अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 10
    सूक्त - अङ्गिराः देवता - मन्त्रोक्ताः छन्दः - आसुरी जगती सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त

    तृ॒तीये॑भ्यः श॒ङ्खेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥

    स्वर सहित पद पाठ

    तृ॒ती॒येभ्यः॑। श॒ङ्खेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.१०॥


    स्वर रहित मन्त्र

    तृतीयेभ्यः शङ्खेभ्यः स्वाहा ॥

    स्वर रहित पद पाठ

    तृतीयेभ्यः। शङ्खेभ्यः। स्वाहा ॥२२.१०॥

    अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 10

    भाषार्थ -
    (तृतीयेभ्यः) तीसरी कोटि के (शङ्खेभ्यः) शङ्खों द्वारा साध्य रोगों के निवारण के लिए (स्वाहा) जाठराग्नि में आहुतियां हों॥ १०॥

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