अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 16
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी पङ्क्तिः
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
ग॒णेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठग॒णेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.१६॥
स्वर रहित मन्त्र
गणेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठगणेभ्यः। स्वाहा ॥२२.१६॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 16
भाषार्थ -
(गणेभ्यः) गणों के स्वास्थ्य के लिए, तदुचित हवियों द्वारा (स्वाहा) आहुतियां हों।
टिप्पणी -
[सूक्त में प्रायः रोगनिवारण का वर्णन है। इस लिए “गण” शब्द द्वारा व्यक्ति के गणों का ग्रहण करना उचित है। यथा—ज्ञानेन्द्रियगण, कर्मेन्द्रियगण, पञ्चभूतगण, और तदुत्पन्न शरीर, पञ्चतन्मात्रागण, अन्तःकरणचतुष्टयरूपगण। इन गणों के स्वास्थ्य के लिए स्वाहा कहा है।]