अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 11
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी जगती
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
उ॑पोत्त॒मेभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठउ॒प॒ऽउ॒त्त॒मेभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.११॥
स्वर रहित मन्त्र
उपोत्तमेभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठउपऽउत्तमेभ्यः। स्वाहा ॥२२.११॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 11
भाषार्थ -
(उपोत्तमेभ्यः) उपोत्तम अर्थात् उत्तम पाशों के समीप वर्तमान पाशों को शिथिल करने के लिए (स्वाहा) समर्पण हो॥ ११॥