अथर्ववेद - काण्ड 19/ सूक्त 22/ मन्त्र 14
सूक्त - अङ्गिराः
देवता - मन्त्रोक्ताः
छन्दः - दैवी पङ्क्तिः
सूक्तम् - ब्रह्मा सूक्त
ऋ॒षिभ्यः॒ स्वाहा॑ ॥
स्वर सहित पद पाठऋ॒षिऽभ्यः॑। स्वाहा॑ ॥२२.१४॥
स्वर रहित मन्त्र
ऋषिभ्यः स्वाहा ॥
स्वर रहित पद पाठऋषिऽभ्यः। स्वाहा ॥२२.१४॥
अथर्ववेद - काण्ड » 19; सूक्त » 22; मन्त्र » 14
भाषार्थ -
(ऋषिभ्यः) शरीरस्थ ५ ज्ञानेन्द्रियों, मन और बुद्धि इन सात ऋषियों के स्वास्थ्य के लिए (स्वाहा) आहुतियां हों।
टिप्पणी -
[ऋषिभ्यः= “सप्त ऋषयः प्रतिहिताः शरीरे” (यजुः० ३४.५५), तथा “शरीरे षडिन्द्रियाणि विद्या सप्तमी आत्मनि” (निरु० १२.४.३७)।]