अथर्ववेद - काण्ड 8/ सूक्त 6/ मन्त्र 2
सूक्त - मातृनामा
देवता - मातृनामा अथवा मन्त्रोक्ताः
छन्दः - पुरस्ताद्बृहती
सूक्तम् - गर्भदोषनिवारण सूक्त
प॑लालानुपला॒लौ शर्कुं॒ कोकं॑ मलिम्लु॒चं प॒लीज॑कम्। आ॒श्रेषं॑ व॒व्रिवा॑सस॒मृक्ष॑ग्रीवं प्रमी॒लिन॑म् ॥
स्वर सहित पद पाठप॒ला॒ल॒ऽअ॒नु॒प॒ला॒लौ । शर्कु॑म् । कोक॑म् । म॒लि॒म्लु॒चम् । प॒लीज॑कम् । आ॒ऽश्रेष॑म् । व॒व्रिऽवा॑ससम् । ऋक्ष॑ऽग्रीवम् । प्र॒ऽमी॒लिन॑म् ॥६.२॥
स्वर रहित मन्त्र
पलालानुपलालौ शर्कुं कोकं मलिम्लुचं पलीजकम्। आश्रेषं वव्रिवाससमृक्षग्रीवं प्रमीलिनम् ॥
स्वर रहित पद पाठपलालऽअनुपलालौ । शर्कुम् । कोकम् । मलिम्लुचम् । पलीजकम् । आऽश्रेषम् । वव्रिऽवाससम् । ऋक्षऽग्रीवम् । प्रऽमीलिनम् ॥६.२॥
अथर्ववेद - काण्ड » 8; सूक्त » 6; मन्त्र » 2
भाषार्थ -
(पलालानुपलालौ) पलाल और अनुपलाल को, (शर्कुम्, कोकम्) शर्कु और कोक के (मलिम्लुचम्, पलीजकम्) मलिम्लुच और पलीजक को, (आश्रेषम्) आश्रेष को, (वव्रिवाससम्, ऋक्षग्रीवम्, प्रमोलिनम्) वव्रिवासस ऋक्षग्रीव, प्रमीली को [हम नष्ट करते हैं]।
टिप्पणी -
["पलाल" आदि रोगकीटाणुओं के नाम हैं। पदों के धात्वर्थं निम्नलिखित किये हैं। पलाल का अर्थ है तिनके, और अनुपलाल है भूसा। इनकी आकृति वाले या इन की तरह अतितुच्छ रोगकीटाणु। अथवा इनके सड़ने गलने से उत्पन्न रोगकीटाणु। शर्कु१=शर्-शर् ऐसा शब्द करने वाला (सायण) कोक= चक्रवाक की आकृति वाला या बलादि का संहार करने वाला 'कुक वृक आदाने (भ्वादिः)। मलिम्लुच= अत्यन्त मलिन। पलीजकम्= पल्या पलितेन चकते इति, अर्थात् केशों को पलित अर्थात् सफेद कर देने वाला। आश्रेष= आश्लेषण अर्थात् सम्पर्क द्वारा दुःखदायक। वव्रिवासस= गहरे कूपों या गड्ढों में निवास करने वाला। अक्षग्रीव=बन्दर विशेष की गर्दन के सदृश गर्दन वाला। प्रमीली अर्थात् आंखों को अन्धा कर देने वाला या क्षण-क्षण में झपकाने वाला रोगकीटाणु। सायणाचार्यकृत अर्थों के आधार पर अर्थ किये हैं।] [१. शराकृतिक अथवा हिंसाकारी (शॄ हिंसायाम्), अथवा शर् + कु; कुत्सित हिंसाकारी, आद्यन्त विपर्यास आदि। शर्कोट ? (अथर्व० ७।५८।५)।]